पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे में बिटकॉइन धोखाधडी,घोटाला प्रकरण में मदद करने के लिए पुणे साइबर पुलिस द्वारा दो साइबर विशेषज्ञों को नियुक्त किया था,यही दोनों विशेषज्ञों ने बिटकाइन का घोटाला किया। पुणे पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया है,अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में एंट्री की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच अधिकारियों से इस मामले की पूरी जानकारी ली। ईडी राज्य में बिटकॉइन और अन्य आभासी मुद्रा मामलों में धोखाधड़ी के 12 मामलों की जांच कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में समानांतर जांच शुरू कर दी गई है।
साइबर विशेषज्ञ पंकज प्रकाश घोडे (ताड़ीवाला रोड निवासी) और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी रवींद्र प्रभाकर पाटिल (बिब्वेवाड़ी निवासी) हैं। दोनों साइबर विशेषज्ञों के रूप में बिटकॉइन की जांच में पुलिस की सहायता कर रहे थे। हालांकि, दोनों को तब गिरफ्तार किया गया जब जांच में पता चला कि उन्होंने सरकार को धोखा देकर संदिग्ध तरीके से काम किया था। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। साइबर विशेषज्ञों द्वारा आरोपियों से बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) वर्चुअल करेंसी को उनके रिश्तेदारों के नाम पर एक-दूसरे को डायवर्ट करने के मामले की जांच ईडी ने की है।
बिटकॉइन जब्त करने में दोनों साइबर विशेषज्ञों की भूमिका इस अपराध की जांच में संदिग्ध पाई गई थी। करीब 9 महीने की जांच के बाद पता चला कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम कुछ क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर की थी। बाद में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। भारद्वाज बंधुओं ने देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों को धोखा दिया है। उसकी जांच ईडी को सौंप दी गई है। इस बीच बुधवार को ईडी के कुछ अधिकारी पुणे पुलिस कमिश्नरेट पहुंचे थे। उन्होंने पुणे पुलिस से पंकज घोडे और रवींद्र पाटिल के बारे में पूरी जानकारी हासिल की।
बिटकॉइन: सुप्रीम कोर्ट का फैसला जांच एजेंसियों के लिए अहम
अजय भारद्वाज और उनके दो भाइयों के खिलाफ पुणे के दत्तवाड़ी और निगडी थाने में मामला दर्ज किया गया है। पता चला है कि अजय भारद्वाज फिलहाल जमानत पर दिल्ली से बाहर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि एक बार आरोपी का डिजिटल वॉलेट मिलने के बाद क्रिप्टोवॉलेट की गोपनीय जानकारी और यूजरनेम और पासवर्ड जांच एजेंसियों को देना होगा। इसलिए बिटकॉइन मामले की जांच चल रही है
इस फैसले से पुलिस को पूर्व कौशल जांच करने में मदद मिलेगी। यह निर्णय आगे के अपराधों की जांच में एक मार्गदर्शक के रूप में भी उपयोगी होगा। जांच इस तथ्य से बाधित हुई थी कि आरोपी ने अपना डिजिटल खाता उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड प्रदान नहीं किया था, हालांकि, यदि अभियुक्तों को इस तरह से क्रिप्टोकुरेंसी के बारे में सूचित नहीं किया गया था, तो उन्हें जमानत मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आरोपी जानबूझकर पुलिस को क्रिप्टोकरेंसी खाते का खुलासा करने से बच रहा था, जिसे अब निकट भविष्य में रोका जा सकता है।