Maharashtra News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में बडी उथल पुथल मची है। भाजपा ने एनसीपी नेता अजित पवार पर डोरे डाल रही है। अजित पवार अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने जा रहे है। दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात करके पटकथा लिखी जा चुकी है। एकनाथ शिंदे को हटाकर अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यह एक महाडील के रुप में देखा जा रहा है। ऐसी चर्चा महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक शुरु है।
महाराष्ट्र की राजनीति में फ़िलहाल उथल-पुथल और अनिश्चितता के संकेत मिल रहे हैं। इसकी गवाही बीते दिनों में हुए घटनाक्रम दे रहे हैं। जिनपर अगर बारीकी से नजर दौड़ाएं तो लगता है कि महाराष्ट्र में कुछ बड़ा सियासी परिवर्तन देखने को मिल सकता है। बीते कुछ दिनों सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि आने वाले दिनों में अजित पवार बीजेपी में समर्थकों संग शामिल हो सकते हैं या फिर बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार स्थापित कर सकते हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे बनाम उद्धव ठाकरे की लड़ाई वाले मुक़दमे की सुनवाई पूरी हो चुकी है। इसका फैसला भी अदालत ने सुरक्षित रख लिया है। बस अब यह किसी भी समय सुनाया जा सकता है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि एकनाथ शिंदे के 16 विधायक अपात्र घोषित हो जाएं। ऐसा हुआ तो शिंदे फडणवीस सरकार गिर सकती है। अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इसी वजह से बीजेपी ने अब अजित पवार पर डोरे डालना शुरू किया है। अगर अजीत पवार बीजेपी के साथ जाते हैं तो उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना भी पूरा हो जायेगा। फिलहाल उनके पास 35-40 एनसीपी विधायकों का समर्थन है। इसलिए दल बदल विरोधी कानून लागू नहीं होगा।
यह भी कहा जा रहा है कि 8 अप्रैल को अचानक अजित पवार का गायब हो जाना भी इसी कड़ी का हिस्सा था। इस बात की चर्चा है कि उस दिन अजित पवार चार्टेड फ्लाइट से दिल्ली गए थे। जहाँ उनकी मुलाकात अमित शाह से हुई थी। दरअसल अजित पवार दिल्ली में डील फाइनल करने के लिए गए थे। इस दौरान उनके साथ प्रफुल पटेल और सुनील तटकरे भी मौजूद थे। ताकि विभागों के बंटवारे पर भी चर्चा हो सके। चर्चा इस बात की भी है कि बीजेपी शिंदे से किनारा कर रही है। अजित पवार को लेकर यह कहा जाता है कि वह बीजेपी के आला नेताओं के खिलाफ कभी कड़ा रुख नहीं अपनाते हैं।
अजित पवार का साथ क्यों चाहती है बीजेपी?
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की बढ़ती हुई लोकप्रियता बीजेपी के लिए मुश्किल का सबब बनी हुई है। भले ही उद्धव गुट ने पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह खो दिया है बावजूद इसके उनकी लोकप्रियता में इजाफा दर्ज किया गया है। इसके अलावा बीजेपी के अंदरूनी सर्वे में महाविकास अघाड़ी को राज्य की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 33 पर जीत मिल सकती है। इस सर्वे ने भी बीजेपी नेताओं की नींद उड़ाई हुई है। बीजेपी किसी किसी भी सूरत में महाराष्ट्र को खोना नहीं चाहती है। इसलिए बीजेपी राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में एक मराठा चेहरा देना चाहती है। इसीलिए बीजेपी अजित पवार को रिझाने की कोशिश में जुटी हुई है। राज्य में 35 फीसदी मराठा हैं।
खुद फैसला करें अजित पवार
बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के मुद्दे शरद पवार ने अजित पवार से कहा है कि इस विषय पर वह खुद फैसला लें। पवार बीजेपी से साथ जाकर अपने कई दशक पुराने करियर पर दाग नहीं लगाना चाहते हैं। वहीं अजित पवार के समर्थक यह चाहते हैं अजित पवार पहले शरद पवार का आशीर्वाद लें. उसके बाद आगे बढ़ें। समर्थक इस बात से भी डर रहे हैं कि कहीं साल 2019 की तरह का वाकया न हो। उस समय अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की सरकार महज 80 घंटों में ही गिर गयी थी। शरद पवार बीजेपी के साथ जाने से हिचक रहे हैं। अजित पवार के समर्थकों को पता है कि पार्टी के संरक्षक के खिलाफ जाने का मतलब राजनीतिक आत्महत्या हो सकती है। क्योंकि शरद पवार की जनता के मूड को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए, एनसीपी के विधायकों ने अजित पर किसी तरह शरद पवार का आशीर्वाद लेने का दबाव डाला है।
क्या शरद पवार को महाराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे जैसा झटका लगेगा और पार्टी में बड़ी बगावत हो जाएगी? बीते कुछ दिनों से महाराष्ट्र में यह चर्चा जोरों पर है। खबर है कि विधानसभा में नेता विपक्ष अजित पवार ने पिछले दिनों दिल्ली आकर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। यही नहीं सूत्रों का कहना है कि रविवार को अमित शाह जब मुंबई पहुंचे तो भाजपा नेताओं के साथ उन्होंने मीटिंग की। इस बैठक में चर्चा हुई कि क्या एनसीपी के एक धड़े को भाजपा में लिया जा सकता है। दरअसल अमित शाह महाराष्ट्र भूषण सम्मान देने के लिए पहुंचे थे। कार्यक्रम भले ही रविवार को था, लेकिन वह शनिवार की शाम को ही यहां आ गए थे।
अजित पवार की अमित शाह से मुलाकात की खबर और कई नेताओं के बयानों ने बड़े बदलाव की चर्चाएं तेज कर दी हैं। कहा जा रहा है कि शनिवार रात को ही अमित शाह ने भाजपा के कई नेताओं से मीटिंग की और उन्हें एनसीपी के मामले में भरोसे में लिया। संजय राउत ने भी दावा किया था कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने माना है कि उनकी पार्टी के कुछ लोगों पर दबाव है कि वे पाला बदल लें। अब तो बात इससे आगे बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि भाजपा में अब इस बात पर मंथन हो रहा है कि एनसीपी के धड़े को सत्ता में किस तरह से भागीदारी दी जाएगी।
महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं और यदि एनसीपी में फूट होती है तो भाजपा को सीधे तौर पर 2024 में फायदा मिलेगा। शिवसेना पहले ही तितर-बितर हो चुकी है। कांग्रेस का कुछ खास वजूद कांग्रेस में नहीं है और महाविकास अघाड़ी में तीसरे नंबर की पार्टी रही है। ऐसे में एनसीपी में भी विभाजन होने पर भाजपा को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है। एनसीपी में शरद पवार अब बुजुर्ग हो चले हैं, जबकि उनकी बेटी सुप्रिया सुले कभी जननेता नहीं रहीं। वहीं अजित पवार एनसीपी के संगठन को संभाल चुके हैं और पूरे प्रदेश में पकड़ रखते हैं। इसलिए उनकी बगावत एनसीपी के लिए सदमे जैसी होगी तो वहीं भाजपा को बड़ा फायदा मिलेगा।