Pune News पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) पुरी-गंगासागर दिव्य काशी यात्रा भारत गौरव ट्रेन को माननीय रेल राज्य मंत्री द्वारा पुणे से झंडी दिखाकर रवाना किया गया। पुणे स्टेशन से रेल राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे, कोयला और खान,राज्यमंत्री भारत सरकार सुनील कांबले, विधायक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में पुरी-गंगासागर दिव्य काशी यात्रा भारत गौरव ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया गया।भारत सरकार की कल्पना के अनुसार देखो अपना देश और एक भारत श्रेष्ठ भारत की महान पर्यटन अवधारणाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से,रेल मंत्रालय देश के विभिन्न हिस्सों से भारत गौरव पर्यटक ट्रेनों का संचालन कर रहा है। इन थीम-आधारित ट्रेनों की परिकल्पना घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए की गई है।
क्या मिलेगी सुविधाएं?
पुरी-गंगासागर दिव्य काशी यात्रा भारत गौरव ट्रेन 9 रात्रि/10 दिनों का टूर पैकेज है, जिसमें पुरी, कोलकाता, गया, वाराणसी और प्रयागराज के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को कवर किया जाता है, जिसमें आगंतुकों को सबसे प्रसिद्ध मंदिर और अन्य तीर्थ स्थान देखने को मिलेंगे। जगन्नाथ पुरी मंदिर, कोणार्क मंदिर, पुरी में लिंगराज मंदिर, कोलकाता में काली बाड़ी और गया में गंगा सागर, विष्णु पद मंदिर और बोधगया, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा घाट और प्रयागराज में त्रिवेणी संगम आदि शामिल हैं। आईआरसीटीसी ने इस सर्व-समावेशी दौरे की पेशकश की है जिसमें 7 स्लीपर क्लास कोच, 3 एसी-3 टीयर और 1 एसी- 2 टीयर कोच की संरचना के साथ भारत गौरव ट्रेन के विशेष एलएचबी रेक में आरामदायक रेल यात्रा शामिल होगी और ऑन-बोर्ड पूरा होगा। ऑफ-बोर्ड भोजन,सड़क यात्रा और गुणवत्ता वाली बसों में दर्शनीय स्थलों की यात्रा, यात्रा कार्यक्रम के अनुसार आवास की व्यवस्था, टूर एस्कॉर्ट्स की सेवा, यात्रा बीमा, ऑन-बोर्ड सुरक्षा और हाउसकीपिंग के अलावा पर्यटकों के लिए विभिन्न ऑन-बोर्ड मनोरंजन गतिविधियों की योजना बनाई गई है। रेलवे इस खूबसूरत आध्यात्मिक यात्रा पर यात्रियों के लिए प्रतिबद्ध है और खुद को धार्मिकता और पवित्रता के मार्ग पर फिर से निकालता है।
पत्रकारों के सवालों से कन्नी काटे मध्यरेल के जीएम नरेश लालवानी
ज्ञात हो कि मुंबई रेल मुख्यालय में एक सीपीआरओ,एक वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी तथा कुछ अन्य और जनसंपर्क का काम द्ेखते हैं। वहीं 15-20 कर्मचारियों का स्टाफ है। परंतु पुणे डिविजन के जनसंपर्क अधिकारी मनोज झंवर सेवानिवृत्त होने के बाद अभी तक कोई जनसंपर्क अधिकारी नहीं भेजा गया। पुणे जनसंपर्क अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार वाणिज्य विभाग के एसीएम को सौंपा गया है। परंतु एसीएम के पास कई प्रकार की जिम्मेदारियां होने के कारण रेलवे से जुडी कई खबरों से पत्रकार वंचित रह जाते है। इसको रेल विभाग की उदासीनता कहें या मनमर्जी? अंधेर नगरी है। जहां एक तरफ रेलवे बोर्ड निदेशक पद की स्थापना कर रहा है। वहीं आज भी कई मंडल जैसे भूसावल,सोलापुर,पुणे की तरफ रेल प्रशासन अनदेखी कर रहा है। पुणे में दिव्य काशी यात्रा ट्रेन का उद्घाटन समारोह में मध्यरेल के जीएम श्री नरेश लालवानी पत्रकारों के सवालों से कन्नी काटते नजर आए। जहां पर पत्रकारों ने पुणे रेल मंडल के मनमर्जी कामकाज की जानकारी दी। पत्रकारों ने बताया कि उत्तर भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनों में यह आलम है कि स्लीपर कोच,एसी कोच में पैर रखने की जगह नहीं रहती। पुणे रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर टिकट चेकर की मनमर्जी इस तरह बढ़ गई कि सभी रेल नियमों को तोड प्लेटफॉर्म पर ही जनरल टिकट वाले यात्री का दंड का रसीद बनाकर स्लीपर कोच तथा एसी कोच में बैठने की सलाह देते है। वहीं आगे बताया कि हाल ही में कुछ महिने पहले जनरल कोच में चढ़ते वक्त एक यात्री की दम घुटकर मौत हो गई थी। इसके बावजूद पुणे तथा उत्तर भारतीयों की तरफ रेल प्रशासन का रवैया उदासीन दिखाई दे रहा है। जिसके जवाब में जीएम साहब ने यह कहकर पल्ला फाड दिया कि इन सब बातों की जानकारी जीएम ऑफिस को नहीं है। वहीं प्लेटफॉर्म पर टिकट बनाने के मुद्दे पर जीएम ने आश्वस्त कराया कि इसकी जांच कराके अगर कोई चेकिंग स्टाफ प्लेटफॉर्फ पर टिकट बनाता है तो उसके विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की जाएगी। वहीं एक समाजसेवी संस्था ने यह भी कहा कि इन सब मुद्दों को लेकर पुणे मंडल के डीआरएम को कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है,इसके बावजूद अभी तक डीआरएम कार्यालय की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं दूसरी तरफ अवैध रुप से खानपान बेचने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। सीट पर बैठे यात्रियों को यह अवैध हॉकर डरा धमकाकर जबर्दस्ती थाली पकडाकर पैसे उगाही कर रहे हैं। इस पर भी रेल प्रशासन तथा आई आरटीसीटी के अधिकारी मौन है। एक तरफ रेलवे बोर्ड यात्रियों के प्रति बडी उदारता दिखाकर कई योजनाओं का शुभारंभ कर चुका है,लेकिन सभी योजनाएं कागज तक सीमित है। अक्सर यह देखने को मिलता है कि रेलवे के फूड स्टॉलों से जनता खाना का बोर्ड ही नदारद है। जनता खाना रेलवे बोर्ड की योजना है। 20 रुपये में जनता खाना 7 पुरी वजन 175 ग्राम और साथ ही 150 ग्राम आलू की सब्जी देना बंधन कारक किया गया था। वहीं पुणे रेलवे स्टेशन पर संचालित फूड प्लाझा,ओमसाईराम इंटरप्रायजेस,जनआहार,एक्सप्रेस फूड सर्विस,भोजनालय सिद्धविनयाक ये सभी इंडियन टूरिज्म कार्पोरेशन(आईआरटीसीटी) द्धारा संचालित किए जाते है। प्रायवेट ठेकेदारों को चलाने का ठेका दिया जाता है। दुर्भाग्य यह है कि इन सब भ्रष्टाचार की शिकायत कई बार होने के बावजूद रेलव प्रशासन तथा आईआरटीसीटी अपना पल्ला झाडते नजर आते है। वहीं आज का आलम यह है कि पुणे रेलवे स्टेशन पर बडी मात्राा में अवैध गंदा पानी पीने के लिए बेधडक बिक्री हो रही है। रेल प्रशासन, सीआई, रेल स्टेशन डायरेक्टर,रेल स्टेशन मास्टर जिनको रेलवे लाखों की सैलरी देती है,लेकिन ये लोगों की वफादारी ब्रिकेताओं के प्रति है। यही वजह है कि पुणे रेलवे स्टेशन पर अवैध धंधे चल रहे है।