Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की आय में इजाफा हुआ है। मोदी सरकार 2014 से 2024 के दौरान किए गए काम और विकास की गारंटी देकर वोट मांग रही है। इन दस सालों के दौरान विपक्षी दलों के 25 दिग्गज नेता, जो केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर थे, बीजेपी में शामिल हुए। खास बात यह है कि इनमें से 23 लोगों को जांच से राहत भी मिल गई है।
2014 के बाद से भाजपा में शामिल होने वाले 23 विपक्षी नेताओं को राहत दी गई है। बीजेपी में गए 25 विपक्षी दिग्गजों में कांग्रेस से 10, एनसीपी से 4, शिवसेना से 4, टीएमसी से 3, टीडीपी से दो और एसपी और वाईएसआरसीपी से एक-एक शामिल हैं। 25 में से 23 नेताओं के लिए राहत की बात ये है कि तीन मामले बंद कर दिए गए हैं। जबकि अन्य 20 मामले ठंडे बस्ते में चले गये हैं। इस एक साल में छह दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। एक जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि 95 प्रतिशत राजनेताओं पर ईडी और सीबीआई ने मुकदमा चलाया था। 2014 में जब मोदी सरकार आई तो ये सभी विपक्षी दलों में थे। विपक्षी दलों ने बीजेपी को वॉशिंग मशीन बताया है कि बीजेपी में शामिल होने पर उन्हें क्लीन चिट मिल जाती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन विपक्षी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे वे बीजेपी में शामिल होने के बाद भाजपाई वाशिंग मशीन में धुल करके पवित्र हो गए है।
महाराष्ट्र के नेताओं पर कार्रवाई का ज्यादा फोकस!
2009 में देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। उस दौरान सीबीआई ने मायावती और मुलायम सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में कुछ नोटिंग में बदलाव किया है। वर्तमान समय में कारवां का नकदी प्रवाह महाराष्ट्र की ओर अधिक था। 2022 से 2023 के बीच महाराष्ट्र में ईडी नोटिस मिलने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।2022 में एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर सवाल उठाए और बीजेपी के साथ सरकार बनाई। इस राजनीतिक घटनाक्रम के एक साल बाद अजित पवार ने एनसीपी छोड़ दी, शरद पवार के नेतृत्व पर आपत्ति जताई और सत्ता में भागीदारी का फैसला किया। अजित पवार के सत्ता में आने के बाद अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ मामले शांत हो गए। 25 लोगों की सूची में से 12 नेता महाराष्ट्र से हैं।
अजित पवार का क्या हुआ?
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अजीत पवार के खिलाफ मामले में अक्टूबर 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की। उस वक्त अजित पवार महाविकास अघाड़ी में थे। 2022 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इस मामले को दोबारा खोलने की कोशिश की गई। जिसके बाद अजित पवार ने एनडीए के साथ जाने का फैसला किया। मार्च 2024 के बाद मामला ठंडा पड़ गया। अब आर्थिक अपराध शाखा की कार्रवाई के आधार पर ईडी की कार्रवाई बेअसर हो गई है।
ऐसे ही मामले में टीएमसी के सुवेंदु अधिकारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ-साथ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की गतिविधियां भी ठंडी पड़ गई हैं। अशोक चव्हाण के ऊपर आदर्श घोटाला की तलवार लटक रही है। कांग्रेस से त्यागपत्र देकर दूसरे दिन भाजपा में शामिल और तीसरे दिन भाजपा ने राज्यसभा का टिकट थमा दिया। हिमंत बिस्वा सरमा पर शारदा चिटफंड घोटाला मामले में जांच चल रही थी। इसके बाद वह 2015 में बीजेपी में शामिल हो गए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे,उनके सहयोगियों के ऊपर ईडी ने शिकंजा कसा और शिवसेना को तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। सारे ईडी की नोटिस ठंडे बस्ते में चला गया। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 70 हजार करोड के घोटालेबाज को सलाखों के पीछे करेंगे। दो दिन में अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़कर भाजपा के साथ सरकार में आ गए। राष्ट्रवादी के हसन मुश्रिफ,प्रफुल्ल पटेल जैसे कई नाम हैं जिनको ईडी,इनकम टैक्स विभाग की नोटिस मिली,और भाजपा के वाशिंग मशीन में धोकर साफ हो गए।