Pcmc पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा में भाजपा का एकमात्र निर्विरोध नगरसेवक रवि लांडगे ने भाजपा के सक्रिय सदस्यता से इस्तीफा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजा है। अपने पत्र में रवि लांडगे ने भोसरी से भाजपा विधायक और शहर अध्यक्ष महेश लांडगे पर बडा हमला बोलते हुए कहा कि महेश लांडगे ने भाजपा को भ्रष्टाचार का तोहफा दिया है। भाजपा के पुराने वफादार साथियों की अनदेखी की और भ्रष्टाचारी लोगों को बढ़ावा दिया।
चाहे चिखली में संतपीठ हो,नदी सुधार परियोजना हो या भोसरी फ्लाईओवर के तहत अर्बन स्ट्रीट डिजाइन परियोजना हो या अपशिष्ट डिपो में कचरे से ऊर्जा परियोजना हो,ऐसा कोई काम नहीं है जो भ्रष्टाचार के बिना किया गया हो। भाजपा के शहर अध्यक्ष और विधायक महेश लांडगे ने भ्रष्टाचार के ये सारे तोहफे भाजपा को दिए हैं। महेश लांडगे के भाजपा में शामिल होने के बाद से पार्टी की छवि एक भ्रष्ट पार्टी की हो गई है।
भ्रष्टाचार की मंशा से भोसरी अस्पताल के निजीकरण को विफल करने के पार्टी के फैसले के खिलाफ मुझे सड़कों पर लड़ना पड़ा। मनपा के इतिहास में पहली बार भाजपा की स्थायी समिति के अध्यक्ष को घूसखोरी निवारण विभाग ने रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया है। इससे साफ है कि भोसरी विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसलिए अब पार्टी में दम घुट रहा है। भ्रष्टाचार के विरोधी भोसरी विधानसभा क्षेत्र में वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के राजनीतिक अस्तित्व को खत्म करने के लिए साजिशें रची गईं। मेरे जैसा वफादार कार्यकर्ता कभी भी पार्टी की ताकत हासिल नहीं कर पाया। उस समय भारतीय जनता पार्टी सत्ता में नहीं थी। ऐसे में मुश्किल समय में पार्टी को जिंदा रखने के लिए निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की। ऐसा रवि लांडगे ने कहा।
अब पार्टी का नेतृत्व बाहरी लोगों के हाथ में है। पार्टी के नेता भूल गए कि वफादारों पर थोपा गया बाहरी नेतृत्व स्वार्थी है। पार्टी के वरिष्ठ स्तर पर बार-बार शिकायत करने के बाद भी इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। पांच साल के निरंतर अन्याय को सहने के बाद और पार्टी के नेता भी गलत काम करने वालों का समर्थन कर रहे हैं,तो भाजपा को छोड़ने का निर्णय लिया है।
रवि लांडगे ने यह भी कहा कि उनके पूरे परिवार का राजनीतिक जन्म भाजपा से हुआ। मैंने पूरे समर्पण के साथ काम किया। वर्तमान में भाजपा पर भ्रष्टाचारियों का कब्जा है। पार्टी के सिद्धांतों से भटक करके लूटघोसट,भ्रष्टाचार को अपना जन्मसिद्ध अधिकारी मान बैठे है।
वफादारों पर थोपा गया बाहरी नेतृत्व स्वार्थी,भ्रष्टाचारी है। पार्टी के वरिष्ठ स्तर पर बार-बार शिकायत करने के बाद भी इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। पांच साल के निरंतर अन्याय को सहने के बाद और पार्टी के नेता भी गलत काम करने वालों का समर्थन कर रहे हैं,तो भाजपा को छोड़ने का निर्णय लिया है।