पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) महिला और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सहित पिंपरी-चिंचवड़ पालिका के सात सदस्य गुप्त रूप से केरल के लिए रवाना हो गए हैं। खास बात यह है कि दौरे में किसी अधिकारी-कर्मचारी ने भाग नहीं लिया। 7 नगरसेवकों के साथ कोरोना की के छाए में केरल दौरे के साहस की बहुत चर्चा हो रही है।
पिंपरी चिंचवड मनपा पर रईसी का शिक्का लगा है। फिर यहां चुनकर आने वाले नगरसेवक हो,ठेकेदार हों या फिर काम करने वाले अधिकारी,कर्मचारी गरीब कैसे रह सकते है। अध्ययन दौरा का नाम दिया जाता है। लेकिन पालिका का इतिहास बताता है कि आज तक जितने दौरे हुए लौटने के बाद अध्ययन की कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई। कुछ दौरे तो विदेशों में भी किए गए। इसके पीछे करोडों रुपये की बर्बादी हुई। गरीबों के टैक्स से जमा पैसों पर अध्ययन दौरे होते है। ऐसे दौरे भी हुए जिनको निजी अथवा खुद के खर्च से जाने का बहाना बनाया गया। निजी दौरों के पीछे ठेकेदार खडे रहते है जो करोडों रुपये का ठेका पाने के लिए जनप्रतिनिधियों को खुश करने के लिए ऐसे दौरे प्रायोजित करते है।
पालिका के महिला बालकल्याण समिति में 40 करोड रुपये का एक ठेका मंजूर हुआ। 40 करोड की रकम से ठेकेदार शहर के झुग्गीवासियों को फ्री में चादर,एक बेडशीट आवंटित करेगा। इसके पहले झुग्गीवासियों को चादर,बेडशीट नहीं बांटा गया। किसी ने चादर,बेडशीट देने की मांग भी नहीं की थी। पालिका की ओर से अध्ययन दौरे के लिए 5 लाख रुपये मंजूर किया गया है। महिला बालकल्याणा समिति का एक शिष्टमंडल 27 जनवरी को फ्लाइट से केरल रवाना हुआ। कल 1 फरवरी को घरवापसी का प्रोगाम है। इस दौरे में पालिका प्रशासन की ओर से एक भी अधिकारी,कर्मचारी शामिल नहीं हुआ। महिला व बाल कल्याण समिति की चेयरपर्सन चंदा लोखंडे,बीजेपी की माधवी राजपुरे,सविता खुल्ले,योगिता नागरगोजी,निर्मला गायकवाड़ और एनसीपी की गीता मंचकार,निकिता कदम और सात अन्य सदस्य केरल के एक अध्ययन दौरे पर गए हैं। राकांपा के मंगला कदम,शिवसेना के अश्विनी चिंचवड़े ने दौरे पर जाने से परहेज किया है।
इस दौरे में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कहा जाता है। प्रशासनिक अधिकारी किसी भी अध्ययन दौरे पर जाते हैं। हालांकि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी इस दौरे में नहीं गए। यह एक आश्चर्य की बात है। केरल दौरे की जानकारी पालिका प्रशासन को नहीं है। जैसे ही भाजपा पालिका में सत्ता में आयी उसने करदाताओं के पैसे से यात्रा नहीं करने का फैसला किया था। हालांकि इस दौरे ने भाजपा की भूमिका पर सवाल खडा किया। इस बीच महिला और बाल कल्याण समिति के सदस्यों का केरल दौरा अब विवादास्पद हो गया है। इससे पहले शिक्षा समिति के सदस्यों के लिए खरीद के विषय को मंजूरी देते ही उसी ठेकेदार ने विदेशी दौरों को प्रायोजित किया था। सीधे विषय को मंजूरी देने और पालिका को अधिकारियों,ठेकेदारों द्वारा लूटने का नया फंडा अपना चुके है।