पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) कोरोना लॉकडाउन के कार्यकाल में उद्योग धंधे बंद रहे। लोगों के हाथ से काम छीन गया। दाने दाने को खाने को मोहताज हुए। ऐसे हालात में मनपा में काबिज सत्ताधारी भाजपा ने महासभा में एक प्रस्ताव पारित किया था कि शहरवासियों का प्रॉपर्टी टैक्स 6 महिने का माफ किया जाएगा। इस प्रस्ताव को अंतरिं मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया था। मगर भाजपा और राष्ट्रवादी के बीच श्रेय लेने की होड में यह प्रस्ताव दम तोड दिया। अब केवल हवाहवाई वाली बातें ही रह गई है। इस मुद्दे को भूनाने के लिए भाजपा के स्थानीय नेतागण जमकर राकांपा के उपर कीचडबाजी कर रहे है। राज्य सरकार जानबूझकर इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालने का कार्य कर रही है। ऐसा आरोप लगाया जा रहा है।
पिंपरी-चिंचवड़ औद्योगिक शहर में बड़ी आबादी है। कोरोना ने औद्योगिक क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया। इन सभी के लिए पालिका के आयकर का भुगतान करना मुश्किल होगा। इसलिए सभी श्रमिकों, व्यापारियों, छोटे और बड़े व्यापारियों, छोटे पैमाने के उद्योगों के निवासियों गैर-निवासियों और पालिका की सीमा में औद्योगिक संपत्तियों पर लगाए गए छह महीने के आयकर को माफ करने का निर्णय लिया गया। भाजपा और अन्य दलों के नेताओं ने आयुक्त श्रवण हार्डिकर से इसकी मांग की। पिंपरी-चिंचवड़ शहर में लगभग साढ़े पांच लाख संपत्तियां हैं। अगर छह महीने के लिए आयकर माफ कर दिया जाता है,तो यह पालिका के लिए एक बड़ा वित्तीय झटका होगा। अधिकारियों ने शहर के नागरिकों को राहत देने के लिए घाटे को सहन करने का फैसला किया था। हालांकि पिंपरी पालिका में बीजेपी सत्ता में है,शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार की अंतिम मंजूरी की आवश्यकता है। यह स्पष्ट है कि इस प्रस्ताव को संरक्षक मंत्री और उप मुख्यमंत्री अजित पवार की सहमति के बिना सरकार की मंजूरी नहीं मिलेगी। हलकों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा-राकांपा की साख के कारण कर छूट के निर्णय में देरी हो सकती है।
आयकर छूट प्रस्ताव के बारे में राज्य सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है।