पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर कांग्रेस को मजबुत अध्यक्ष की तलाश है। सचिन साठे के इस्तीफे के बाद यह पद रिक्त है। मुंबई से दो पर्यवेक्षक शरद अहेर और राजेश शर्मा को 24 नवंबर को भेजा गया था। करीबन 15 स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने साक्षात्कार दिया। पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात को सौंप चुके हैं। जिसमें मजबुत दावेदार की रेस में कामगार नेता और पूर्व नगरसेवक कैलास कदम,अशोक मोरे,मनोज कांबले,नरेंद्र बनसोडे,पूर्व नगरसेविका निगार बारस्कर,पूर्व नगरसेवक तुकाराम भोंडवे,संदेश नवले,दिलिप पांढरकर,सुंदर कांबले समेत 15 लोग शहर अध्यक्ष बनने के इच्छुक है।
शहर कांग्रेस को कब मिलेगा इंजन?
सचिन साठे ने शहर कांग्रेस में गुटबाजी के कारण अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात के पास सुपुर्द किया था। डेढ महिना बीतने के बाद भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी। 2022 में मनपा का चुनाव होने वाला है। सभी पार्टियां तैयारियां,ब्यूहरचना,अंकगणित के जोड घटाना में लगी है। लेकिन कांग्रेस इन दिनों बिना इंजन के डिब्बों के साथ प्लेटफार्म में खडी है। इस शहर से कांग्रेस ने राष्ट्रीय सचिव पद पर पृथ्वीराज साठे की नियुक्ति की है। साठे का कहना है कि आगामी 15 दिनों में शहर को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
शहर कांग्रेस की गिरती साख
पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो.रामकृष्ण मोरे के निधन के बाद कांग्रेस न केवल सत्ता गंवाई बल्कि धीरे धीरे अपनी प्रतिष्ठा भी गंवाई। वर्तमान में पिंपरी चिंचवड मनपा के अंदर कांग्रेस का एक भी नगरसेवक नहीं है यह राष्ट्रीय पार्टी के लिए दुर्भाग्य की बात है। 2014 से कांग्रेस की हालत पतली होती गई वह सिलसिला आज भी जारी है। कांग्रेस का झंडा और डंडा उठाने वाला चुनिंदा लोग ही बचे है। 2017 पालिका चुनाव में पूरी सीट पर उम्मीदवार नहीं मिल पाया। 2017 में कई प्रभाग में बिना कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव लडा गया। उम्मीदवारों का मानना है कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडना मतलब हार की पूरी गारंटी। भाऊसाहेब भोईर जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष थे तो 5-9 नगरसेवक चुनकर आते थे। लेकिन सचिन साठे के पिछले 6 वर्ष के कार्यकाल में शुन्य नगरसेवक पर कांग्रेस पहुंच गई। पिंपरी चिंचवड शहर ही नहीं पूरे देश में 2014 के बाद से कांग्रेस के बुरे दिन शुरु हुआ जो सिलसिला जारी है।
सचिन साठे ने असल में इस्तीफा क्यों दिया?
सचिन साठे ने अपने इस्तीफे को व्यक्तिगत कारणों की चादर से ढकने का काम किया। मगर अंदरखाने से जो बातें छनकर बाहर आयी है वो यह कि सचिन साठे ने विधान परिषद मांगा था। हईकमान ने भी आश्वासन दिया था मगर पूरा नहीं किया। सचिन साठे की जगह पुणे के शरद रणपिसे को दो साल पहले एमएलसी बनाया गया। पिछले एक साल से कांग्रेस महाराष्ट्र सरकार में सत्ता पर आसीन है। अपने कोटे से कोई महामंडल देकर नाराजगी दूर कर सकती थी मगर ऐसा नहीं किया। सचिन साठे ने 6 वर्षों में अपने अध्यक्ष पद को पूरा न्याय देने का प्रयास किया। गली से लेकर दिल्ली तक के मुद्दों को उछाला,आंदोलन,विरोध प्रदर्शन किया। उनके खून में कांग्रेस समाया हुआ है ऐसे सच्चे कांग्रेसी को हाईकमान ताकत देना चाहिए था जो ऐसा नहीं हुआ।
कैलास कदम मजबुत दावेदार
शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे नाम कैलास कदम का चल रहा है। पिंपरी पालिका में कैलास कदम नगरसेवक रहे,विरोधी नेता रहे। चिंचवड विधानसभा का चुनाव कांग्रेस टिकट पर मजबुती के साथ लडा। वर्तमान में इंटक समेत कई कामगार संगठनों में पदासीन है। आर्थिक मजबुत है साथ ही कार्यकर्ताओं की अच्छी खासी फौज है। मुंबई के नवनियुक्त कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप उनके राजनीतिक गुरु है। चर्चा है कि कैलास कदम के नाम पर मुहर लग सकती है। दूसरी ओर बाकी इच्छुक आर्थिक और कार्यकर्ताओं की फौज के मामले में कमजोर है। इसमें से कुछ ऐसे इच्छुक भी हैं जिनको अध्यक्ष पद नहीं मिलेगा यह जानते हुए भी साक्षात्कार दिए है। नरेंद्र बनसोडे,निगार बारस्कर कांग्रेस में सक्रिय नजर आते है। इसको भी झुठलाया नहीं जा सकता। भाजपा के पास महेश लांडगे जैसे दिग्गज शहर अध्यक्ष है तो राष्ट्रवादी के पास शहर अध्यक्ष पद पर बडा चेहरा संजोग वाघेरे के रुप में है। ऐसे में अगर कांग्रेस को अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा वापस पाना है तो कैलास कदम मजबुत विकल्प हो सकते है। यही एक चेहरा है जो कांग्रेस को फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचाने में संजीवनी बूटी का काम कर सकता है।