Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में एक डिग्री कोर्स पूरा करने के बाद, छात्रों को तीन साल के भीतर अपनी दुसरी डिग्री पूरी करना अनिवार्य है। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया कि प्रथम डिग्री या प्रथम मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद अधिकतम चार वर्ष के भीतर द्वितीय डिग्री, द्वितीय मास्टर डिग्री के लिए प्रवेश लेना अनिवार्य है।
यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है। विश्वविद्यालय प्राधिकरण बोर्ड ने विज्ञान, कला, कंप्यूटर विज्ञान, गणित, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि जैसे डिग्री विषयों के लिए निर्णय लिया है। संबद्ध कॉलेजों और स्वायत्त कॉलेजों को अपनी प्रवेश क्षमता से अधिक छात्रों को द्वितीय डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं देना चाहिए। दूसरी डिग्री के प्रवेशित छात्रों को एक नया पीआरएन नंबर दिया जाएगा। इसकी वैधता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार तीन वर्ष तक रहेगी। इसका मतलब यह है कि छात्र को अपने प्रवेश के शैक्षणिक वर्ष से तीन साल के भीतर दूसरी डिग्री पूरी करना अनिवार्य होगा।
जिन छात्रों के पास चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) नहीं है, उनकी द्वितीय डिग्री परिणाम प्रक्रिया की घोषणा प्रतिशत पद्धति से की जानी चाहिए, परिणाम घोषित करते समय द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष के संयुक्त अंकों पर विचार किया जाना चाहिए। इसलिए, इस तरह से अपनी पहली डिग्री पूरी करने वाले छात्रों के लिए परिणाम प्रक्रिया को पूरा करते समय, उनकी पहली डिग्री उपलब्धि पर विचार करना व्यवस्थित होगा। जिन छात्रों ने प्रथम डिग्री या प्रथम मास्टर डिग्री प्राप्त की है, उन्हें संबद्ध कॉलेज से द्वितीय डिग्री या द्वितीय मास्टर पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जा सकता है। साथ ही, संबद्ध महाविद्यालय से प्रथम उपाधि या प्रथम स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र स्वायत्त संस्थान, महाविद्यालय में प्रवेश के पात्र माने जायेंगे। यदि पाठ्यक्रम में कोई परिवर्तन होता है तो छात्रों को समकक्षता लेनी होगी। इन विषयों का मूल्यांकन कॉलेज स्तर पर ही होगा।
अंतिम परिणाम या अंतिम ग्रेड का निर्धारण परिणाम प्रक्रिया का संचालन करते समय प्रथम डिग्री या प्रथम मास्टर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष और द्वितीय डिग्री, मास्टर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के अंकों के अलावा अन्य सभी ग्रेड को ध्यान में रखकर किया जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि डिग्री-स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का प्रमाण पत्र उसी के अनुरूप दिया जाएगा।