Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे की जेल में छात्र शोध के लिए पढ़ाई कर सकेंगे। अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ गुप्ता ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। बहुत से लोग अपराध की कहानियां सुनना, पढ़ना और देखना पसंद करते हैं। अपराधी कैसे होते हैं? वे करते क्या हैं जेल में उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है या यह फिल्म की तरह असली जेल है जहां जेल और अपराधी रहते हैं? कई लोगों के मन में ऐसे कई सवाल होते हैं। कई लोग कैदियों की जिंदगी के बारे में जानने के लिए भी उत्सुक रहते हैं। इससे अब छात्र पुणे जेल में पढ़ाई कर सकते हैं। राज्य कारागार प्रशासन के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अमिताभ गुप्ता ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। इससे हमें जेल में बंद कैदी की क्राइम स्टोरी सुनने और पढ़ने को मिलेगी।
महाराष्ट्र में कई विश्वविद्यालय और कॉलेज के छात्र सामाजिक जीवन में मानव व्यवहार का अध्ययन करने के लिए सामाजिक शोध का उपयोग करते हैं। कोई भी मानव व्यवहार की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। उसके लिए, कानून के छात्रों और सामाजिक कार्य के छात्रों को अपने पाठ्यक्रमों से संबंधित शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए जेलों का दौरा करना पड़ता है। देश और प्रदेश के विश्वविद्यालयों के माध्यम से विभिन्न विषयों पर शोध किया जाता है।छात्र जेलों में बंद कैदियों पर शोध करने के लिए अपने शोध विषय का चयन करते हैं, इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अमिताभ गुप्ता ने छात्रों को यह सुनहरा अवसर प्रदान किया है।
उन्होंने आदेश जारी कर पंजीकृत संस्थानों, विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों को अनुसंधान के उद्देश्य से जेलों में जाने की अनुमति दी है। जिस विषय पर कारागार विभाग को आपत्ति हो उसे छोड़कर अन्य विषयों पर शोध किया जा सकता है। उसके लिए शर्तों पर अनुमति दी जाएगी। यह भी आदेश दिया गया है कि शैक्षिक उद्देश्यों के लिए कॉलेज के अधिकतम 35 छात्रों को जेल जाने की अनुमति दी जाए।
मानसिक जीवन पर शोध
जेल में बंद कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य पर शोध किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि होगी। इस शोध से कैदियों की मानसिक स्थिति का अध्ययन करना आसान हो जाएगा। इन सबके चलते शोधकर्ता और उनके जरिए जेल में बंद कैदियों की जिंदगी उनकी मानसिकता को कई लोगों के सामने उजागर करेगी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, ससून सर्वोपचार अस्पताल पुणे भी कैदियों पर शोध अध्ययन करेंगे। गुप्ता ने कहा है कि इस तरह के शोध से प्राप्त रिपोर्ट से सुधारात्मक बदलाव लाने में मदद मिलेगी, यह शोध बंदियों की समस्याओं और विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेगा।