Pcmc News(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे के फुलगांव में चल रही महाराष्ट्र केसरी प्रतियोगिता के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। सिकंदर शेख ने मौजूदा चैंपियन शिवराज रक्षे को हराकर महाराष्ट्र केसरी पुरस्कार जीता है। उन्होंने अपना महाराष्ट्र केसरी का गदा उठाकर दर्शकों को सलाम किया और अपनी जीत का जश्न मनाया। सिकंदर शेख 66वीं महाराष्ट्र केसरी प्रतियोगिता के विजेता बन गए हैं।
डिफेंडिंग चैंपियन शिवराज ने रक्षे को आसमान का तारा दिखाया
महाराष्ट्र केसरी कुश्ती टूर्नामेंट का फाइनल राउंड अहम रहा। इस राउंड में सिकंदर का पलड़ा भारी रहा। लेकिन कई लोगों को ये भी लगा कि शिवराज राक्षे उन्हें चुनौती देंगे। लेकिन तेज़ और आक्रामक कुश्ती खेलने वाले सिकंदर के सामने शिवराज रक्षा का कोई मुकाबला नहीं था। लड़ाई शुरू होने के बाद झोली ने शिवराज को उठाया और नीचे ले जाकर जीत हासिल की। क्ले सेक्शन में सिकंदर शेख संदीप मोटे को हराकर फाइनल में पहुंचे। गादी डिवीजन में हर्षद कोकाटे को हराकर शिवराज राक्षे ने दूसरी बार महाराष्ट्र केसरी के फाइनल में प्रवेश किया। इन दोनों के बीच लड़ाई बहुत भयंकर थी। इस लड़ाई में, सिकंदर शेख ने राक्षे शिवराज को हराया और महाराष्ट्र केसरी की गदा पर अपना नाम अंकित किया।
कौन हैं सिकंदर शेख?
सिकंदर शेख का पैतृक गांव सोलापुर जिले का मोहोल है। उनके परिवार में उनके दादा से कुश्ती लड़ने की परंपरा है। सिकंदर के पिता राशिद शेख भी कुश्ती लड़ते थे। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए सिकंदर शेख ने कुश्ती सीखी। साथ ही यह परंपरा अब कुश्ती के प्रतिष्ठित पुरस्कार महाराष्ट्र केसरी की विजेता भी बन गई है। 22 वर्षीय सिकंदर शेख कोल्हापुर के गंगावेश तलमित के पहलवान हैं। छोटी सी उम्र में उन्होंने अच्छे-अच्छे पहलवानों को धूल चटा दी है। सिकंदर की घरेलू स्थिति दयनीय थी। लेकिन मां और पिता दोनों ने उन्हें पहलवान बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
2018 में सिकंदर ने मोहोल में कुश्ती का अभ्यास शुरू किया। उनके बराबर के पहलवान उस समय ट्रेनिंग में नहीं थे। इसलिए सिकंदर के पिता और अभिभावकों ने उसे कोल्हापुर के गंगावेश तालामी में भेजने का फैसला किया। उनकी कुश्ती तब से शुरू हुई जब कोल्हापुर से गंगावेश तालमी आये।
जीत के बाद सिकंदर शेख ने क्या कहा?
सिकंदर शेख और मौजूदा चैंपियन शिवराज राक्षे के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। कुछ ही पलों में सिकंदर शेखर ने शिवराज राक्षे का प्रदर्शन किया और उन्हें महाराष्ट्र केसरी गदा और महिंद्रा थार कार मिल गई। मेरी जीत का श्रेय मेरे पिता और मेरे कोच को जाता है। मैंने पिछले छह-सात महीने तक कड़ा अभ्यास किया।’ मैं अब देश के लिए पदक लाना चाहता हूं,ऐसा सिकंदर शेख ने कहा।