Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) चिंचवड़ में आयोजित महायुति बैठक में नाराजगी का ड्रामा देखने को मिला। आरपीआई आठवले गुट के शहर अध्यक्ष को मंच पर नहीं बुलाने और उनका नाम नहीं लेने,उचित सम्मान न देने पर पदाधिकारियों ने नाराजगी जताई। जब तक रामदास अठावले का आदेश नहीं आ जाता हम श्रीरंग बारणे का चुनावी प्रचार नहीं करेंगे। ऐसा कहकर सभा का बहिष्कार करके आरपीआई कार्यकर्ता बाहर निकलने लगे। पिंपरी से विधायक अण्णा बनसोडे आज अनुपस्थित दिखे,जबकि उनका नेता अजित पवार मंच पर विराजमान थे।
पिंपरी-चिंचवड़ में आज महायुति उम्मीदवार श्रीरंग बारणे के प्रचार के लिए एक महासभा का आयोजन किया गया। बैठक में अजित पवार,चंद्रकांत पाटिल,उदय सामंत समेत शहर अध्यक्ष और पदाधिकारी मौजूद हैं। इसी बीच इस मुलाकात के दौरान नाराजगी का ड्रामा देखने को मिला। आरपीआई आठवले के शहर अध्यक्ष को न बुलाने और मंच पर बैठने का न्योता न देने पर पदाधिकारियों ने बैठक छोड़कर नाराजगी जताई। उधर से गुजर रहे मंत्री उदय सामंत को आरपीआई की नाराजगी की सुगबुगाहट समझ में आई तो उन्होंने पदाधिकारियों से मुलाकात की और उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की। सामंत ने हस्तक्षेप कर उम्मीदवार श्रीरंग बारणे,शहर अध्यक्ष और पदाधिकारियों के साथ बैठक की और इस नाराजगी के नाटक पर पर्दा डालने की कोशिश की। लेकिन महायुति की बैठक में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह सर्वाजनिक हो चुका है। इससे श्रीरंग बारणे के चुनावी प्रचार पर असर पड़ सकता है।
उदय सामंत ने कहा कि कोरोना काल के दौरान उद्धव ठाकरे फेसबुक पर लाइव हुए। लेकिन उनके कार्यकर्ता क्या चाहते हैं,उनके मन में क्या है,इसके लिए उन्होंने कभी फेसबुक लाइव नहीं किया। पिछले ग्यारह सालों में उद्धव ठाकरे ने किसी को अपना चेहरा नहीं दिखाया, इसलिए उन्होंने कोरोना काल में बार-बार फेसबुक लाइव किया।
देश का संविधान कोई नहीं बदल सकता-अजित पवार
अजित पवार ने कहा कि हम सब पैसों की राजनीति छोड़कर विकास की राजनीति करने के लिए एक साथ आए हैं।’ आज हमारा देश मोदी के हाथों में सुरक्षित है। मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर हमारे देश की व्यवस्था को तीसरे स्थान पर लाना चाहते हैं। हम सब मिलकर उनका साथ देना चाहिए। ऐसी अपील अजित पवार ने की। देश के राज्य संविधान को कोई नहीं बदल सकता। जब तक सूर्य और चंद्रमा हैं, कोई हमारा संविधान नहीं बदल सकता। संविधान में अब तक 106 बार संशोधन किया जा चुका है। इंदिरा गांधी के प्रधानमत्री काल में सबसे ज्यादा 28 बार संवैधानिक संशोधन हुए और कांग्रेस के विभिन्न प्रधानमंत्री काल में सबसे ज्यादा संवैधानिक संशोधन हुए।