Pcmc News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 28 नवंबर को सुनवाई होगी। इसलिए संभावना है कि पुणे समेत राज्य के सभी महापालिकाओं और अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद ही होंगे।
पांच महानगर पालिकाओं छत्रपति संभाजीनगर, नवी मुंबई, वसई-विरार, कोल्हापुर और कल्याण-डोंबिवली का कार्यकाल 2020 में समाप्त हो गया है। पुणे सहित 14 मनपा का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होने के कारण सभी नगर पालिकाओं में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई है।वर्तमान में जन प्रतिनिधियों द्वारा संचालित पालिकाओं का कार्यकाल 30 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। इसलिए इन नगर पालिकाओं पर भी प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। प्रदेश की 300 से अधिक पंचायत समितियों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों की देखरेख भी प्रशासक के माध्यम से की जा रही है।
मार्च 2022 में, महाविकास अघाड़ी सरकार ने नगर पालिकाओं में तीन सदस्यों के विभाजन का आदेश दिया था, जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था। तदनुसार इस वार्ड का डिज़ाइन तैयार किया गया और इसे अंतिम मंजूरी दी गई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक हटा दी और उसके मुताबिक आरक्षण तय कर दिया। इसलिए संभावना थी कि पालिका चुनाव की घोषणा हो जायेगी। लेकिन, इसी बीच शिवसेना में बगावत के कारण महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गयी। जबकि ठाकरे सरकार ने वार्ड बनाते समय सदस्यों की संख्या बढ़ा दी थी, लेकिन शिंदे-फडणवीस सरकार ने इसे निलंबित कर दिया और एक नया वार्ड बनाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। ओबीसी आरक्षण को लेकर भी याचिका दायर की गई है। यह अभी तय नहीं हुआ है।
वार्ड गठन याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (4 तारीख) को सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। अंतिम निर्णय होगा या नहीं? इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। साथ ही अगर फैसला हो भी गया तो मार्च में लोकसभा की आचार संहिता लागू हो जाएगी। मई में लोकसभा चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद मानसून का हवाला देकर चुनाव अक्टूबर तक टाले जा सकते हैं। इसलिए, अधिकारी और राजनीतिक पदाधिकारी यह अनुमान लगा रहे हैं कि पालिका चुनाव के लिए उन्हें कम से कम एक साल और इंतजार करना होगा।