Pune News पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे जिले में पुणे और खड़कवासला छावनी बोर्ड को पुणे पालिका में विलय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। छावनी सीमा में आवासीय क्षेत्रों को सैन्य संस्थानों और केंद्रीय संस्थानों को छोड़कर पुणे पालिका में शामिल किया जाएगा। पुणे पालिका के आयुक्त और छावनी बोर्डों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। इससे पुणे पालिका की सीमाओं का विस्तार होने जा रहा है। साथ ही पालिका में लाखों लोग शामिल होंगे और पार्षदों की संख्या भी बढ़ेगी।
देश के विभिन्न राज्यों में सेना के 62 छावनी बोर्ड हैं। अब केंद्र सरकार छावनी बोर्ड को समाप्त करने और नगर पालिकाओं में नागरिक बस्तियों को शामिल करने और विशेष सैन्य स्टेशनों के रूप में सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्रों को रखने के बारे में सोच रही है। इसके लिए केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे सेना के नियंत्रण वाली लाखों हेक्टेयर जमीन पालिका के कब्जे में ले ली जाएगी और उसे विकास के लिए खोल दिया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल दत्तात्रेय शेखतकर की अध्यक्षता वाली एक समिति ने इस बदलाव का सुझाव दिया है।
महाराष्ट्र में छावनी बोर्ड कहाँ हैं?
महाराष्ट्र में सात छावनी बोर्ड हैं, जिनके नाम पुणे,खड़की,देहू रोड,औरंगाबाद,अहमदनगर,देवलाली (नासिक) और नागपुर हैं। इन सभी सात छावनी बोर्डों को स्थानीय नगर पालिकाओं की सीमा में शामिल करने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएगी।
62 छावनी बोर्ड और लाखों हेक्टेयर जमीन
देश के विभिन्न राज्यों में 62 छावनी बोर्ड हैं। इन छावनी बोर्डों के पास एक लाख साठ हजार एकड़ जमीन है। इन छावनी बोर्डों में 50 लाख से ज्यादा आबादी रहती है। छावनी सीमा के भीतर निजी संपत्ति भी सेना के नियंत्रण में है। हर कुछ वर्षों में मूल मालिकों के साथ सेना द्वारा एक पट्टा भी दर्ज किया जाता है। सैन्य कार्यालयों की सुरक्षा चिंताओं के कारण छावनी सीमा के भीतर विकास कार्यों और निर्माण के लिए एफएसआई को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
पालिका में जाकर विकास को बढ़ावा?
छावनी बोर्ड क्षेत्र में रहने वाले कुछ नागरिकों को लगता है कि अगर वे पालिका में जाएंगे तो उन्हें सड़क,पानी,साफ-सफाई जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इस फैसले के अमल में आने पर चर्चा हो रही है कि छावनी क्षेत्र की लाखों एकड़ जमीन विकास के लिए खुली रहेगी। हालांकि इससे सैन्य संगठनों की सुरक्षा का मुद्दा चर्चा में आ सकता है।