Pimpri पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी-चिंचवड़ मनपा आयुक्त राजेश पाटिल ने प्रशासन के तहत कई कर्मचारियों और अधिकारियों का तबादला कर उन लोगों को बड़ा झटका दिया है जो वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात थे। इसमें उन्होंने राजनीतिक हस्तक्षेप का भी विरोध किया और अपने फैसले पर कायम रहे। आयुक्त के साहस व निर्भिकता की यह निशानी है। हालांकि यह एक प्रशासनिक हिस्सा है,यह आयुक्त के रूप में उनकी जिम्मेदारी है। कई बार कुछ कमिश्नर राजनीति के मोहरे बन जाते हैं और अपने फैसले बदलते रहते हैं। बहुतों को पदोन्नत किया गया।
अतिरिक्त आयुक्त ढाकणे की नियुक्ति सुर्खियों में
रेल सुरक्षा बल(RPF) से पधारे अतिरिक्त आयुक्त विकास ढाकणे की नियुक्ति वैध है या अवैध इस पर भी चर्चा मनपा के गलियारों में शुरु है। रेल सुरक्षा बल(RPF) के पूर्व डीएससी ढाकणे एक बार फिर विवादों और सुर्खियों में नजर आ रहे हैं। आयुक्त राजेश पाटिल इस पर मौनव्रत की भूमिका में नजर आ रहे है। इतना अवश्य है कि बाहरी अधिकारियों की नियुक्ति से पालिका में वर्षों से काम कर रहे अधिकारियों पर अन्याय जरुर होता है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि विकास ढाकणे राजनीति में अच्छी खासी पकड रखते हैं। सरकार किसी की भी हो बोलबाला इन्हीं का रहता है। राजनीति में दूसरे दल से आए नेताओं को बडी पोस्ट,मंत्री बनते देखा है लेकिन सरकारी विभाग में केंद्र के आधीन रेलवे विभाग से सीधे महाराष्ट्र के आधीन पालिका अतिरिक्त पद पर नियुक्ति पहली बार देखने को मिला है। अब ढाकणे की नियुक्ति वैध है या अवैध यह एक जांच का विषय है।
राज्य सरकार की क्या है नीति?
पिंपरी-चिंचवड़ मनपा के अतिरिक्त आयुक्त पद पर विकास ढाकणे रेल सुरक्षा बल से प्रशासनिक सेवा में आए हैं। डेप्यूटेशन पर विकास ढाकणे, की केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रहे अरविंद सावंत के निजी सचिव पद पर नियुक्ति हुई थी। केंद्र सरकार में बदलाव होते ही सावंत ने जैसे ही इस्तीफा दिया वैसे ही अपना राजनीति दांवपेंच खेलकर मुंबई मंत्रालय आ धमके। यहां पर इन्होंने अपनी राजनीति पॉवर का इस्तेमाल करके कुछ महिनों में एशिया की पिंपरी चिंचवड मनपा अतिरिक्त आयुक्त पद पर विराजमान हो गए। जबकि भारतीय रेल सेवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा दोनों अलग-अलग विभाग हैं,तो रेल सुरक्षा बल (RPF) का कोई व्यक्ति प्रशासनिक सेवा में कैसे आ सकता है? जानकार बताते हैं कि आ सकते है लेकिन उसके लिए कुछ नियम है। यह एक वास्तविक प्रश्न है और इसकी जांच की जानी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 3 अगस्त,2021 को एक नीति तय की है,जिसके अनुसार विकास ढाकणे इस पद पर नहीं बैठ सकते। ऐसा जानकारों का मानना है। इतना ही नहीं खुद पिंपरी-चिंचवड़ मनपा कमिश्नर पाटिल भी कमिश्नर के तौर पर इस पद पर नहीं बैठ सकते। इसका कारण यह है कि राज्य सरकार में अंतर्राज्यीय प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त अधिकारी राज्य सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था के लक्ष्यों और नीतियों से पूरी तरह परिचित नहीं होते हैं और उन्हें राज्य सरकार में एक बहुत ही जिम्मेदार और संवेदनशील पद पर नियुक्त करना प्रशासनिक रूप से उचित नहीं है।
विकास ढाकणे का विवादित,चर्चित रेल सुरक्षा बल विभाग सेवा
अतिरिक्त आयुक्त विकास ढाकणे पहले मुंबई में एएससी पद पर कार्यरत थे। कुछ महिनों बाद डीएससी पद पर पदोन्नति मिली। 2016 में पुणे रेल सुरक्षा बल आयुक्त(डीएससी) पद पर नियुक्त हुए। 2018 में उनको सीनियर डीएससी पद पर पदोन्नति मिली। इसके बाद उनका तबादला वेस्टर्न रेलवे सुरक्षा बल में किया गया। लेकिन वे वहां डियुटी ज्वाइन नहीं किया और जुगाड़ लगाकर पुणे में ही वरिष्ठ रेल सुरक्षा बल आयुक्त(सीनियर डीएससी)बने रहे। जबकि पुणे मंडल में यह पद निर्मित नहीं है। मतलब नियुक्ति को अपग्रेड कराया गया या किया गया। इनके उपर कई भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। वडगांवशेरी में ब्रह्म सन सिटी में करोडों का एक नामचीन ब्यूटी पार्लर है जो इनकी पत्नी चलाती थी,वर्तमान में पार्लर बंद है और सेल का बोर्ड लगाया गया है। रेलवे सुरक्षा बल मशीनरी का दुरुपयोग व भ्रष्टाचार का आरोप महाराष्ट्र शासन के अधिस्वीकृति पत्रकार ओमप्रकाश पांडेय ने लिखित शिकायत में लगाया था और सीबीआई जांच की मांग की थी। जांच प्रक्रिया आज तक प्रलंबित है। इनके विरुद्ध एक भी जांच शुरु नहीं हुई,सभी जांच प्रलंबित है। राजनीतिक दबाव में दबाया गया,ऐसा कहना गलत नहीं होगा। इनकी बदली जब सोलापुर हुई थी तो भी विवाद इनका पीछा नहीं छोड़ा। वहां से रातों रात निकलना पड़ा। केंद्र में गए फिर जुगाड़ लगाकर महाराष्ट्र में आए और वर्तमान में पिंपरी चिंचवड मनपा अतिरिक्त आयुक्त हैं। मतलब इनका पुणे प्रेम बरकरार है।
नियुक्ति को न्यायालयीन चुनौति
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एक अच्छा अधिकारी चाहते थे। इस संबंध में राकांपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पाटिल का नाम सुझाया। उसके बाद पाटिल-पवार की मुलाकात हुई। और पाटिल को राज्य सरकार द्वारा पालिका आयुक्त नियुक्त किया गया था। यदि आपकी अपनी नियुक्ति क्रम से बाहर है,तो आप दूसरों के मामले में क्या निर्णय लेंगे? यह भी सवाल है। हालाँकि रेल सुरक्षा बल(RPF) का एक अधिकारी को भारतीय प्रशासनिक सेवा में कैसे नियुक्त किया गया? ऐसा इसलिए है क्योंकि ढाकणेे तात्कालीन केंद्रिय राज्य भारी उद्योग मंत्री अरविंद सावंत के साथ विशेष संचालन अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। अतःयह नियुक्ति निरस्त की जायेगी अथवा नहीं यह देखना राज्य सरकार का काम है। अतिरिक्तआयुक्त विकास ढाकणे की नियुक्ती को शहर के कुछ सामाजिक कार्यकर्ता कोर्ट में चुनौति देने की तैयारी कर रहे हैं,ऐसी भी जानकारी पालिका गलियारों से छनकर आ रही है।