Pimpri पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे पालिका सीमा में नए गांवों को शामिल करने का मामला शुरू हो गया है। हालांकि पिछले छह वर्षों से पिंपरी-चिंचवड़ में सात गांवों को शामिल करना,जिसमें आईटी हब हिंजवडी और एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम गहुंजे शामिल है,एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। माना जाता है कि भाजपा-राकांपा की राजनीति,आगामी नगरपालिका चुनावों के राजनीतिक समीकरण और रणनीतिक भूमि खरीदने और बेचने के अर्थशास्त्र ने सीमा विस्तार के मुद्दे को बाधित किया है।
हिंजेवाड़ी,गहुंजे,जंबे,मारुंजी,मान,नेरे और सांगवाड़े को पालिका में शामिल करने के निर्णय को पिंपरी पालिका की 2015 की बैठक में मंजूरी दी गई थी। तब से यह मामला राज्य सरकार के पास लंबित है। इससे पहले सितंबर 1997 में 14 सीमावर्ती गांवों को पिंपरी नगर पालिका में शामिल किया गया था। तभी से पिछले छह साल से नई सीमाओं का मुद्दा चर्चा में है। प्रारंभ में मूल प्रस्ताव चाकण,देहू,आलंदी,महालुंगे,मोई,मारुंजी और आसपास के 20 गांवों को शामिल करना था।
चाकण सहित आसपास के ग्रामीणों के विरोध के कारण अधर में लटका। इसके बाद उत्तर में देहु,आलंदी,चिंबली,कुरुली,मोई,निघोजे,विट्ठलनगर और पश्चिम में हिंजेवाड़ी,मान,मारुंजी,जंबे,नेरे,गहुंजे,सांगवाडे को शामिल करने का विचार आया। हालांकि पालिका की बैठक में हिंजवडी समेत सात अन्य गांवों को 14 की जगह शामिल करने का निर्णय लिया गया। इस बीच सरकार को देहू और आसपास के क्षेत्रों में एक स्वतंत्र नगर पंचायत स्थापित करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) की स्थापना की गई। पीएमआरडीए ने स्टैंड लिया है कि इन सात गांवों को पिंपरी पालिका में शामिल करने की आवश्यकता नहीं है। पिंपरी में सीमा विस्तार का मामला फिलहाल अनसुलझा है।
ये सात गांव पीएमआरडीए के प्रस्तावित हिंजेवाड़ी शहरी विकास केंद्र में शामिल हैं। इस विकास केंद्र की योजना हिंजेवाड़ी में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के विषय को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इन गांवों को छोड़कर केंद्र का महत्व कम हो जाएगा और आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा,हिंजेवाड़ी-शिवाजीनगर मेट्रो प्रस्तावित है। ऐसे कारण बताते हुए इन गांवों को नगर पालिका में शामिल किए बिना पीएमआरडीए की सीमा के भीतर रखना जरूरी है।