pimpri पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी-चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण क्षेत्र को पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) में शामिल करने के फैसले पर राज्य सरकार ने आखिरकार मुहर लगा दी है। सरकार ने विलय के विरोध पर काबू पाते हुए इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। इसलिए 50 साल पहले स्थापित प्राधिकरण का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
पिंपरी प्राधिकरण को पीएमआरडीए में विलय करने का निर्णय 5 मई को कैबिनेट की बैठक में लिया गया था। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के कहने पर लिए गए फैसले का पिंपरी नगरपालिका में सत्ताधारी बीजेपी समेत विभिन्न संगठनों के साथ-साथ प्राधिकरण के निवासियों ने कड़ा विरोध किया है। इस मुद्दे पर बीजेपी ने अजित पवार और एनसीपी पर भी गंभीर आरोप लगाए। हालाँकि विलय को अंततः सरकार द्वारा आखिर मुहर लगा दी गई है।
अधिसूचना के मुताबिक पिंपरी अथॉरिटी की सारी संपत्ति,देनदारी और स्टाफ पीएमआरडीए को ट्रांसफर कर दिया गया है। पीएमआरडीए आयुक्त को विलय से संबंधित आगे की कार्रवाई करने के लिए सभी अधिकार दिए गए हैं। विधायक और सांसद जनता द्वारा चुने जाते हैं। राज्य सरकार ने इतना महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए और इस संबंध में नियमों की घोषणा करते हुए जनप्रतिनिधियों को विश्वास में नहीं लिया। इस अन्यायपूर्ण निर्णय से पिंपरी-चिंचवड को बहुत नुकसान होगा।
पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण को पीएमआरडीए और पिंपरी चिंचवड़ पालिका के बीच आवंटित करते हुए,राज्य सरकार ने इन दो महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को प्राधिकरण के कार्यालयों,चल रही आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं,धन,जमा और बकाया राशि को पीएमआरडीए में स्थानांतरित कर दिया है। विकसित,अविकसित नागरिक सुविधाओं के सभी भूखंड,विकसित और अतिक्रमित आवासीय भूखंड,भवन और संपत्ति जो पहले रखरखाव और उपयोग के लिए वर्गीकृत की गई थी,पिंपरी चिंचवड़ मनपा को सौंप दी गई है। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि इन सभी क्षेत्रों की योजना एवं नियमन पीएमआरडीए के स्वामित्व वाली भूमि सहित पालिका के नियमों के अनुसार किया जाएगा।
भोसरी क्षेत्र में प्राधिकरण के परिसर में हुए अतिक्रमणों से लाखों प्रतिमहा किराए के रुप में कमाने वालों को अपूरर्णीय क्षति हुई है। इन तमाम चिंताओं के साथ ही राज्य सरकार द्वारा पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण के विलय और संपत्ति आवंटन की अधिसूचना जारी होने के कुछ ही घंटों बाद विधायक महेश लांडगे ने नाराजगी जताई है। अपनी प्रतिक्रिया में राज्य सरकार ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर विश्वासघात और अपूरणीय क्षति का उल्लेख किया है। अब सवाल यह उठता है कि यह क्षति किसकी हुई? प्राधिकरण,पालिका,शहरी जनता या फिर अतिक्रमण करने वाले नेताओं और उनके बगलबच्चों का? सवाल तो बनता है। शहर की जनता शांत है।पालिका प्रशासन का कोई लेना देना नहीं। राज्य सरकार के अधीन काम करने वाली पालिका एक संस्था है। फिर क्षति किसकी हुई और क्यों हुई?