Pcmc पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) देश में मोदी सरकार 2014 में गठित हुई। उसके बाद से कई मोदी पॅटर्न देखने को मिला। हाफ जैकेट चलन से लेकर देश की संपत्तियों को बेचने अथवा निजीकरण पट्टे पर देने का चौंकाने वाला निर्णय लिया गया। रेलवे,विमानतल,टेलिकॉम,कोयला समेत कई देश की संपित्तयों को अडानी,अंबानी को किराए पर देने का निर्णय लिया गया। पिंपरी चिंचवड मनपा में सत्ताधारी भाजपा ने भी मोदी पॅटर्न लाया है। पिंपरी चिंचवड शहर की 30 करोड आबादी की जीवनदायनी वायसीएम हॉस्पिटल को एक निजी संस्था के हाथों सौंपा गया। मतलब बड़े मियां तो बड़े मियां,छोटे मियां शुभानअल्लाह….
एजंसी को 3 साल में 100 करोड़ का भूगतान
यह एजंसी वायसीएम में डॉक्टर,नर्स,कर्मचारी,साफ सफाई से लेकर सभी काम की पूर्ति,जिम्मेदारी संभालेगी। बदले में पालिका प्रत्येक 3 महिने में 18 करोड रुपये का भूगतान करेगी। यह करारनामा 3 वर्ष के लिए है। मतलब तीन साल में पालिका की तिजोरी से इस एजंसी को 100 करोड रुपये का भूगतान होगा। जी हां। चौकिए मत! सौ फीसदी सच है। पालिका प्रशासन और सत्ताधारी भाजपा का मानना है कि यह एजंसी वायसीएम का चेहरा मोहरा बदल देगी। शहर के अन्य प्रायवेट हॉस्पिटल की तरह अत्याधुनिक सुुविधा देगी। वायसीएम में व्यसस्थापन का कंट्रोल पालिका के पास होगा। मतलब पालिका का ही स्वामित्व रहेगा। जिस तरह मोदी सरकार ने देश के कुछ संस्थानों को लंबे समय के लीज पर देकर 6 लाख करोड रुपये जुटाने और उस पैसे को देशहित में लगाने की बगलाने वाली बात कही,जो देशवासी पचा नहीं पा रहे। उसी तरह वायसीएम का पूरी तरह प्रायवेटेशन करने का काम चतुराई से हो रहा है। सवाल है कि क्या पालिका का वैद्यकीय विभाग इतना कमजोर है कि वह अपने ही डॉक्टरों,नर्स,कर्मचारियों से उच्च दर्जे की सुविधा मरीजों को उपलब्ध नहीं करा सकता। कर्मचारियों की कमी है तो मानधन पर भर्ती की जा सकती है।
विरोधी पार्टियां खामोश क्यों?
इससे पहले भोसरी पालिका हॉस्पिटल का निजीकरण करने का प्रयास हो चुका है। लेकिन भारी विरोध के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन यहां वही बात को दोहराया गया है। फर्क इतना है कि सीधे नहीं घूमाकर खाने की कला का प्रदर्शन हुआ है। सुनने में यह भी आया है कि एचओडी के माध्यम से वर्क्स ऑर्डर पहले रिलीज हुआ और स्थायी समिति में मंजूरी कल बुधवार को दी गई। ताजुब इस बात की हो रही है कि विरोधी पार्टियां चुप है। अभी तक किसी पार्टी की ओर से बयान तक जारी नहीं हुआ। मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस की ज्यादा जिम्मेदारी बनती है। लेकिन स्थायी समिति में राष्ट्रवादी के चार सदस्यों को यह निर्णय सही लग रहा है। यही कारण है कि वे इस विषय को मंजूर होने दिया,विरोध नहीं किया। अब यह हम कह सकते हैं कि चोर चोर मौसेरे भाई…मिल बांट कर खाएंगे। सभी पार्टियों के स्थानीय प्रमुख नेताओं का पालिका में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष ठेकेदारी फलफूल रही है। सबकी अपनी कमजोरी है। इसलिए तेरी भी चुप मेरी भी चुप की राह पर दुधारु गाय पालिका का दूध निकाला जा रहा और जमकर पीया भी जा रहा है।
पालिका कर्मचारियों का विरोध
पालिका के 7 हजार कर्मचारियों ने इस निर्णय का विरोध किया है। उनका कहना है कि वायसीएम में मैनपॉवर की कमतरता है तो सीधी भर्ती की जानी चाहिए। ताकि उनके पढ़े लिखे बेटा-बेटियों को नौकरी मिल सके। दूसरी बात यह है कि निजी हाथ में पॉवर जाने से गरीब,मजदुर,जरुरतमंदों का इलाज नगरसेवकों के एक फोन पर होता था वह भी पॉवर आने वाले दिनों में छीन जाएगा। इसका दुष्परिणाम आने वाले दिनों में कई रुपों में देखने को मिले तो कोई आश्चर्य नहीं।