Pcmc News पिंपरी (व्हीएसआरएस न्यूज) वन नेशन वन इलेक्शन का निर्णय देशहित में है। इससे देश का करोडों रुपये बचेगा,उस पैसों को देश के विकास कामों में लगाया जा सकता है। लोकसभा के विशेष सत्र में अगर वन नेशन वन इलेक्शन का बिल पारित होता है तो यह एक एतिहासिक निर्णय होगा। ऐसा मावल लोकसभा के शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे ने कहा।
बार बार चुनाव से देश पर खर्च का बोझ बढ़ रहा-श्रीरंग वारणे
श्रीरंग बारणे हमारे संवाददाता से एक कार्यक्रम के दौरान वार्तालाप में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। उनसे जब यह पूछा गया कि देश में लोकसभा के साथ विधानसभा का चुनाव कराना छोटी पार्टियों के लिए घातक साबित हो सकता है। उनके पास इतने संसाधन नहीं कि दोनों चुनाव एक साथ झेल सके। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्षेत्रिय पार्टियों को खत्म करने के इरादे से यह वन नेशन वन इलेक्शन का बिल लेकर आ रहे है। बारणे का कहना था कि प्रधानमंत्री का ऐसा कोई छुपा एजेंडा है लगता नहीं। बार बार चुनाव से देश पर खर्च का बोझ बढ़ रहा है। बार बार चुनाव में मतदान करने से जनता भी तंग आ चुकी है। रहा सवाल क्षेत्रिय पार्टियों का,तो वे राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ सकते है। वर्तमान में यही हो रहा है।
वन नेशन वन इलेक्शन निर्णय से लाखों लोगों के रोजगार पर संकट
आपको बताते चले कि चुनाव से कई उद्योग धंधे,गरीबों को रोजगार,व्यवसाय उपलब्ध होते है। पोस्टर,बैनर,प्रचार समाग्री,गाडियां,हेलिकाप्टर,मैनपॉवर,मीडिया सभी की रोजी रोटी चलती है। अगर वन नेशन वन इलेक्शन का निर्णय आता है तो इनके रोजगार खत्म होना तय है। जो ताकतवर राजनीतिक पार्टियां धनबल वाली होगी उनके ही उम्मीदवार चुनाव जीतेंगे। अच्छे,स्वच्छ,बेदाग,ईमानदार प्रत्याशी का चुनाव जीतना संभव नहीं होगा। यह किसी मायने में अच्छे और स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा। मोदी का छुपा एजेंडा की बात करें तो,अगर किसी राज्य की सरकार एक साल बाद अल्पमत में आ जाती है और राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है तो वहां शेष 4 साल तक चुनाव नहीं होगा। अप्रत्यक्ष कंट्रोल केंद्र सरकार का रहेगा। क्या यह माना जाए कि प्रधानमंत्री मोदी की आँख में क्षेत्रिय पार्टियां जहां विरोधी पार्टियों की सरकार है वह चुभ रही है? तोड़फोड़ से सरकार गिराने,विधायकों को ईडी,सीबीआई से डराकर अपने पाले में करना फिर अपनी सरकार बनाने से दिल नहीं भरा,जिन राज्यों के विधायक बिक नहीं रहे,टूट नहीं रहे,वहां जबरन सरकार भंग करने का फंडा वन नेशन वन इलेक्शन है ? इस निर्णय से क्षेत्रिय पार्टियों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा। लोकतंत्र का सरेआम गला घोटा जाएगा,इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
400 करोड की लागत से दूसरा अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बनाना श्रीरंग वारणे को फिजूल खर्च नहीं लगता ?
श्रीरंग बारणे को देश के विकास और फिजूल खर्च की चिंता सता रही है,अच्छी बात है। लेकिन अपने शहर पिंपरी चिंचवड में एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है फिर मोशी परिसर में 400 करोड की लागत से दूसरा अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बनाने की क्या आवश्यकता है? ऐसा कोई शहर नहीं जहां दो दो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम हो,फिर सवाल उठता है कि क्या सांसद बारणे को इस 400 करोड के स्टेडियम बनाना फिजूल खर्च नहीं लगता? इन्हीं पैसों से अस्पताल,मेडिकल,इंजीनियरिंग कालेज खोलकर सभी को फायदा नहीं पहुंचाया जा सकता। शहर की आबादी 36 लाख हो गई। इस आबादी की प्यास बुझाने के लिए एक ही जीवनदायनी पवना बांध है। भविष्य में पानी संकट से जूझना पडेगा,श्रीरंग बारणे को क्या एक और नए बांध की आवश्यकता नहीं दिखाई देती।
श्रीरंग बारणे ने कहा था कि पिंपरी चिंचवड के नागरिक पी रहे हैं कैंसर युक्त पानी
एक प्रेसवार्ता में बारणे ने कहा था कि पवना बांध से जो पानी शहरवासियों को पीने के लिए मिल रहा है वो कैंसर युक्त पानी है। शहर के नागरिकों को कैंसर होने की संभावना है। फिर प्रलंबित बंद पाइपलाईन योजना के माध्यम से शहर को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की दिशा में क्षेत्र के सांसद होने के नाते पहल नहीं करनी चाहिए? यह तो वही बात हो गई कि…दीया तले अंधेरा। देश सुधारक बनने चले मगर अपने संसदीय क्षेत्र की मूल समस्याओं,फिजूल खर्च की ओर अनदेखी। श्रीरंग बारणे नगरसेवक,सभापति,विरोधी नेता से सफर करते हुए लगातार दो बार सांसद बने है। उनकी कार्यशैली,बुद्धिमत्ता पर कोई प्रशनचिन्ह खड़ा नहीं कर सकता। वर्तमान में वे राज्य व केंद्र सरकार में उनकी शिवसेना(शिंदे) पार्टी शामिल है। शहर की समस्याओं को हल करना उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं।
जी-20 के विेदेशी मेहमानों की मेहमानी में 425 करोड खर्च,सोने-चांदी की थाली में भोजन
अच्छी बात है कि देश का पैसा बचना चाहिए। एक देशभक्त सांसद होने के नाते श्रीरंग बारणे की सोच,नीति सही है। वर्तमान में देश के ऊपर 150 लाख करोड का कर्ज है। पिछले 9 सालों में यह कर्ज का बोझ देश के ऊपर कैसे बढ़ा ? इसका भी आंकलन होना चाहिए। जी-20 के माध्यम से विदेेशी मेहमानों की मेजवानी में 425 करोड का खर्च मोदी सरकार कर रही है। विदेशी मेहमानों को अंतर्राष्ट्रीय दर्जे के पांच सितारा होटलों में ठहरने का इंतजाम किया गया,सोने चांदी की थाली में खाना परोसा जा रहा है। देश के करोडों गरीबों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही। क्या यह फिजूल खर्ची नहीं? देश पर 425 करोड का बोझ नहीं पडेगा?