Pune News पुणे (पुरानी पेंशन योजना) पुणे कलेक्टर कार्यालय पर सरकारी कर्मचारियों का भव्य मार्च निकाला गया है। इस मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट पर मार्च निकाला है, पुरानी पेंशन लागू करें। मार्च में हजारों कर्मचारियों ने भाग लिया। यह मार्च नारेबाजी करते हुए सीधे कलेक्टर कार्यालय से टकराने वाला है।
पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर पिछले तीन दिनों से प्रदेश भर में धरना चल रहा है। हड़ताल का आज चौथा दिन है। इस हड़ताल से प्रदेश के कई विभागों में व्यवस्था चरमरा गई है। इसका खामियाजा कई नागरिकों को भुगतना पड़ता है। हालांकि, मांगों को मानने के लिए हजारों कर्मचारी पुणे में सड़कों पर उतर आए हैं। यह मार्च जिला परिषद के नए भवन से शुरू हुआ है। इसमें बड़ी संख्या में सरकारी व अर्धसरकारी कर्मचारियों ने भाग लिया है।
पदयात्रा में महिलाओं की भारी भागीदारी
इस मार्च में बड़ी संख्या में सरकारी और अर्धसरकारी कर्मचारियों ने हिस्सा लिया है। हर कोई इसमें नारेबाजी कर रहा है। कई लोगों के हाथों में होर्डिंग्स हैं। पेंशन हमारा अधिकार है किसी का बाप नहीं और सिर्फ एक मिशन पुरानी पेंशन की घोषणा की गई।
कर्मचारी हड़ताल पर अड़े
प्रदेश में सरकारी अर्धसरकारी कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं। पुणे जिले में सरकारी तंत्र पर हड़ताल का असर पिछले तीन दिनों से देखा जा रहा है। तमाम विभागों की व्यवस्था चरमरा गई है। सरकारी और अर्धसरकारी गतिविधियां धीमी गति से चल रही हैं। पुणे जिले के कुल 68 हजार कर्मचारियों ने हड़ताल में भाग लिया है। जिले में कुल 32 विभाग कर्मचारी कल से हड़ताल पर चले गए हैं। निर्माण विभाग, राजस्व विभाग, कृषि विभाग में कई काम रुके रहे। जहां कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं, वहीं कर्मचारी हड़ताल पर अड़े हैं।
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य विभाग पर पड़ा
इन सभी हड़तालों का सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य विभाग पर पड़ा है। कई नागरिकों को बहुत नुकसान हुआ है। पुणे जिले के ग्रामीण इलाकों के हर गांव में एक अस्पताल है। गांव में कोई वैकल्पिक अस्पताल नहीं होने के कारण कई लोग इसी अस्पताल पर निर्भर हैं। लेकिन इस अस्पताल के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज पुणे में प्रवेश कर रहे हैं। पुणे में भी इलाज के लिए डॉक्टर नहीं होने के कारण नागरिकों को अपने मरीजों के साथ सड़कों पर खड़ा होना पड़ता है। इसलिए हड़ताल पर जाइए लेकिन मरीजों की मौत तक अंत मत देखिए, ऐसी भावनाएं मरीजों के परिजनों ने जाहिर की हैं।