Maharashtra News जालना(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में मराठा लोगों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जारांगे पाटिल (ारपेक्ष क्षरीरपसश रिींळश्र) ने फिलहाल भूख हड़ताल खत्म करने से मना कर दिया है। सरकार की तरफ से जारी किए जीआर का स्वागत करते हुए जारांगे ने कहा कि यह स्वागतयोग्य है। जारांगे ने कहा कि मैं पीछे हटने को तैयार हूं, लेकिन वंशावली है, उन्हें ही कुनबी (खेती करने वाला समुदाय) प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। यह गलत है। जारांगे ने कहा कि वंशावली का प्रमाण होने पर हम खुद प्रमाणपत्र ले सकते हैं। उसके लिए सरकार के जीआर की क्या जरूरत है? बीड में चक्काजाम कर दिया गया है।
सिर्फ 70 फीसदी मांग मानी गई
जारांगे ने कहा कि ऐसे प्रश्न के आधार पर लिए गए निर्णय से हमें कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार बस फैसले में थोड़ा सुधार करे। हम कल आपके निर्णय को स्वीकार करते हैं। परन्तु जहां वंशावली शब्द हो, उसे हटा दें। इसमें संशोधन करें ताकि बड़े पैमाने पर मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जा सके। वंशावली शब्द हटाने पर विचार करें। हम आपके निर्णय का स्वागत करते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि हमारी केवल 70 फीसदी मांग ही मानी गई है। जारांगे की भूख हड़ताल का आज 10 दिन हैं।
कैबिनेट में हुआ था फैसला
छह सितंबर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक हुई थी। इसमें फैसला लिया गया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठा को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे जिनके पास निजाम शासनकाल के ऐसे राजस्व या शिक्षा दस्तावेज हैं, जो उन्हें कुनबी के रूप में पहचान दिलाते हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह जानकारी दी। कुनबी (कृषि से जुड़ा समुदाय) को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा था कि मराठवाड़ा में मराठा समुदाय से संबंधित लोगों को, जिनके पास निजाम शासन के समय राजस्व और शिक्षा दस्तावेजों में कुनबी होने का उल्लेख है, उन्हें कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा।