Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे रेलवे स्टेशन परिसरों,स्टेशन और ट्रेनों के अंदर अवैध टैक्सी,अवैध हॉकरों द्धारा खाना,पानी की बोतलें,तत्काल,आरक्षण टिकट के लिए दलालों का बोलबाला जैसेे कई अवैध धंधे खुलेआम चल रहे हैं। पुणे रेलवे आरपीएफ,वाणिज्य विभाग कृपया ध्यान दें,और इन अवैध धंधों पर लगाम लगाए। अगर ऐसा नहीं हुआ और अवैध धंधे चलते रहें तो यह माना जाएगा कि संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलिभगत से यह अवैध धंधे बेखौफ चल रहे हैं।
पुणे रेलवे परिसर में अवैध रिक्शा,टैक्सी चालकों का जमावडा
जी हां! हम बता दें कि पुणे रेल्वे स्टेशन पार्सल गेट आरपीएफ थाना के समीप अवैध रूप पुणे से दादर (मुंबई) की सवारी ढोने का खेला लगातार चल रहा है,वही पार्सल गेट पर वडापाव,चाय नास्ता का स्टाल चल रहा है जिसके चलते यात्रियों को पैदल चलने में भी कसरत करनी पडती है,वहीं आज का आलम यह है कि पार्सल गेट पर ऑटो रिक्शा,खडे रहते है यहां तक की कुछ रिक्शा चालक तो सीधे प्लेटफार्म पर ही यात्रियों को पकड लेते है, अब सवाल यह उठता है कि जहां पर आरपीएफ कर्मियो के बैठने हेतु रेल्वे द्वारा केबिन उपलब्ध कराई गई है इतना ही नही यह अवैध रुप से जो टैक्सी चल रही है वहां से लगभग 40 मीटर की दूरी पर आरपीएफ थाना प्रभारी का कार्यालय है। बडा सवाल यह है कि क्या इस अवैध धंधों की जानकारी से आरपीएफ थाना प्रभारी या रेलवे प्रशासन डीआरएम ,या डीएससी आयुक्त, थाना प्रभारी सभी अनजान है? या सभी के द्वारा जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है?
रेलवे स्टेशनों,ट्रेनों में अवैध हॉकरों द्धारा बेखौफ खाद्य पदार्थों की बिक्री
कुछ रेलवे के अधिकारी कर्मचारियों में चर्चा यह भी है,जब से पुणे रेल मंडल के नव नियुक्त डीएससी और आरपीएफ थाना प्रभारी यादव ने कारभार संभाला है तब से हॉकरों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है जो बाहर से सस्ते पानी की बोतलें रेल्वे स्टेशन में मनमानी रेट में बेचते है, इन हॉकरों ने पानी खाना बेचने के लिये रेल्वे स्टेशन को अड्डा बना लिया है। खडी ट्रेनों मे यात्रियों को खाना मनमानी रेट में बेचते हमारे संवाददाता ने पुणे रेल्वे स्टेशन के कुछ होटल चालकों से बात किया तो उन्होंने नाम नही छापने की शर्त पर बताया की यह होटल वाले रेल्वे को लाखों रुपये भरकर ठेका लेते है परंतु इन अवैध हाकरों के चलते होटल का खर्चा रेल्वे का भाडा भी नही निकलता। फिर भी यह मजबूरी में आवाज नही उठाते। इनका तो यह भी कहना है की अगर यह आवाज उठाते हैं तो आरपीएफ इन पर कानूनी कार्यवाही का डर दिखाते है। यह सब रेल प्रशासन के जांच का विषय है। इस पर एक समाज सेवी संगठना ने बताया कि इसकी जांच मे। अगर सी सी टी व्ही पुटेज लेकर की जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा,लेकिन सवाल यह उठता है की सीसीटीवी भी आरपीएफ के स्वधीन है। अगर आरपीएफ विभाग का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष आशीर्वाद अवैध हॉकरों को प्राप्त है तो फिर पारदर्शी जांच होना संभव नहीं।
आरक्षण टिकट खिडकियों पर दलालों का बोलबाला
इसी तरह पुणे,स्वागरगेट,डेक्कन,शिवाजीनगर,चिंचवड आदि रेलवे स्टेशनों पर तत्काल अथवा आरक्षण टिकट खिडकियों पर दलालों का बोलबाला है। दलाल अपने किराए के टटूओं को 100 रुपये की हाजिरी पर कतार में खड़े कर देते हैं। आरक्षण खिड़की खुलने से 15-20 मिनट पहले उसे हटाकर मूल टिकट धारक को लाइन पर खड़ा कर देते हैं। एक फॉर्म पर कम से कम 5 सदस्यों के नाम होते हैं। 500 रुपये प्रति टिकट के हिसाब से 5 सदस्यों के पीछे 2500 रुपये कमा लेते हैं। इसी तरह कई गाडियों के आरक्षण टिकट के लिए खेल चल रहा है। अगर सीसीटीवी को खंगाला जाए तो हर दिन दलालों और उनके गुर्गों का ही चेहरा लाइन में खड़े दिखाई देगा। इससे आम जनता आरक्षण टिकट पाने से वंचित रह जाते हैं। सवाल है कि आखिर यह सब कैसे संभव है?