Pcmc News पिंपरी (व्हीएसआरएस न्यूज) हमारे दैनिक जीवन से जुड़े विषयों को फिल्मों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इसके माध्यम से वास्तविकता का अवलोकन करना चाहिए। तभी तो इसे दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है। प्रसिद्ध लेखक निर्देशक भाऊराव करहाड़े ने सांगवी में बोलते हुए अपनी राय व्यक्त की कि फिल्म ग्रामीण है या शहरी, इस मुद्दे को छोड़ दिया गया है। दिशा सोशल फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ निदेशक डॉ.करहाडे को जब्बार पटेल और दिग्गज सिनेमा विद्वान समर नखाते द्वारा दिशा अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। नटसम्राट निलुभाऊ फुले रंगमंदिर में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा नेता शंकर जगताप, अध्यक्ष जगन्नाथ उर्फ नाना शिवले,उपाध्यक्ष संतोष बाबर,कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र करपे,गोरख भालेकर,सचिन साठे,अभिनेता पृथ्वीराज थोरात,अभिनेत्री कालिंदी निस्ताने,गायक वैभव शिरोले आदि शामिल हुए।
भाऊराव कर्हाडे ने अभिनंदन का जवाब देते हुए कहा कि मैं ग्रामीण भाषा और जीवन जैसे विषयों पर कई फिल्मों के माध्यम से लोगों की विभिन्न संवेदनाओं और उनके जीवन को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं। कोई भी फिल्म बनाने में मुश्किलें आती हैं। मुझे भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालाँकि, मैंने उसका सामना किया। किसान सबसे स्थायी तत्व हैं। वह हमेशा आशा में रहता है। उम्मीद कभी नहीं छोड़ते। मैं भी एक किसान होने के नाते उसी रास्ते पर चलता हूं। अगर आप ईमानदारी से काम करते रहेंगे तो परेशानियां जरूर दूर होंगी। नए रास्ते मिल जाते हैं। प्रश्न दूर हो जाते हैं। अच्छे लोगों से मिलें। ईमानदारी और इंसानियत पीछे नहीं रहनी चाहिए, लेकिन मन में यह बात दृढ़ होनी चाहिए। एक फिल्म कला का काम है और इसे कला के रूप में माना जाना चाहिए। यदि सामग्री और विषय ठोस है, तो भाषा कोई बाधा नहीं है। भाऊराव ने कहा कि फिल्म की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि फिल्म के माध्यम से विषयवस्तु को कितने दमदार ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
अब तक की पूरी यात्रा में दर्शकों ने मुझ पर प्यार बरसाया है। दिशा फाउंडेशन की ओर से मेरा सम्मान हमारे लोगों का प्रोत्साहन है। भाऊराव ने यह भावना व्यक्त की कि प्रशंसा से मानव शरीर में केवल दस हाथियों को शक्ति मिलती है। परिचय जगन्नाथ शिवले ने दिया। सूत्रसंचालन अक्षय मोरे ने किया। राजेश सावंत ने धन्यवाद व्यक्त किया।