Pune News पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) यह बात पहले ही सामने आ चुकी है कि जिला प्रशासन के ’प्रभावी प्रबंधन’ से 313 परिवारों को दोहरा लाभ मिला है। राज्य सरकार रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है। हालांकि, यह बात सामने आ चुकी है कि जिला प्रशासन के ’प्रभावी प्रबंधन’ से 313 परिवारों को दोहरा लाभ मिला है।
महाविकास अघाड़ी सरकार ने कोरोना मृतकों के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार सत्ता में आई थी। महाविकास अघाड़ी सरकार की योजनाओं को वर्तमान सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। हालांकि, इस योजना को निलंबित नहीं किया गया है। इसी के अनुसार यह योजना चल रही है और इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इसके लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक विशेष कक्ष शुरू किया गया है। इस हिसाब से शहर और जिले से प्राप्त आवेदनों में से अब तक 25 हजार 455 लोगों को सब्सिडी की राशि सीधे उनके बैंक खातों में मिल चुकी है। हालांकि इनमें से 313 को दो बार यानी 50 हजार की जगह एक लाख रुपए जमा करा दिए गए हैं। इस मामले के संज्ञान में आने के बाद अब जिला प्रशासन ने संबंधितों से वसूली शुरू कर दी है।
तकनीकी दिक्कतों के चलते 25 हजार 455 लोगों में से 313 लोगों को ज्यादा पैसा मिला है। हालांकि, उनमें से लगभग 80 अतिरिक्त वर्गीकृत धन की वसूली करने में सफल रहे हैं। कलेक्टर कार्यालय ने बताया कि शेष राशि की वसूली के लिए कार्रवाई की जा रही है।
इस बीच अब तक 32 हजार 590 लोगों ने वित्तीय सहायता के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 26 हजार 455 आवेदनों की जांच के बाद स्वीकृति दी गई है और 25 हजार 455 लोगों के बैंक खाते में 50 हजार की सब्सिडी जमा की गई है। 3833 आवेदनों को दस्तावेज पूरा न करने,कोरोना से मृत्यु न होने या कोरोना से मृत्यु का प्रमाण न होने तथा कोरोना से मरने वालों के एक ही परिवार के दो-तीन व्यक्तियों ने आवेदन किया है। कलेक्टर कार्यालय ने यह भी बताया कि एक हजार आवेदनों पर 50 हजार अनुदान राशि जमा करने की प्रक्रिया चल रही है।
अतिरिक्त पैसे का भुगतान कैसे किया गया?
कोरोना से मरने वालों के परिजनों ने कलेक्टर कार्यालय में दिया आवेदन। इन आवेदनों की जांच की गई। इसके बाद संबंधित के बैंक खाते में पैसा जमा करा दिया जाएगा। कई ने बैंक के साथ ग्राहक पहचान सत्यापन (केवाईसी) प्रक्रिया नहीं की थी। साथ ही आधार को बैंक खाते से लिंक नहीं किया गया था। इसलिए आवेदन स्वीकृत होने और पैसा बांटे जाने के बाद भी संबंधित लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा था। इसलिए, प्रशासन ने घधउशव बैंक खाते में पैसा जमा किया। कुछ देर बाद संबंधित ने पिछले बैंक खाते का केवाईसी कराया और उस खाते में भी पैसा आ गया, इस तरह 313 लोगों को 50 हजार की जगह एक लाख रुपये मिल गये।