Pcmc News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) यदि जीवन में सफल होना है तो संगति और संगति में अच्छे विचारों का होना आवश्यक है और छात्रों को अच्छे विचारों का साथ देना चाहिए और बुद्धिमान विचारों का साथ देना चाहिए। हावर्ड विश्वविद्यालय के विद्वान और समाज कल्याण विभाग की विदेशी छात्रवृत्ति के लाभार्थी डॉ.सूरज एंगडे ने कहा कि जाति-धर्म के चक्रव्यूह में फंसे बिना अपना अस्तित्व खुद बनाना चाहिए। सूरज इंगडे ने छात्रों को संबोधित करते हुए ऐसा मंत्र दिया।
समाज कल्याण विभाग के आयुक्त डॉ. प्रशांत नारनवारे की परिकल्पना से प्रदेश में समता पर्व क्रियान्वित हो रहा है तथा इसके अन्तर्गत श्री. एंगडे बोले रहे थे। इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग के आयुक्त डॉ. प्रशांत नारनवारे उपस्थित थे। छात्रों में शोध की प्रवृत्ति पैदा करते हुए शिक्षा और शोध को जोड़ना बहुत जरूरी है। विद्यार्थी सीखते समय कला, क्रिया, सोच और प्रश्न पूछने की आदत को भी समान महत्व देना चाहिए।
प्रौद्योगिकी का उपयोग कौशल विकसित करने के लिए किया जाना चाहिए, आत्म-सुधार और प्रगति के लिए दूसरों के साथ सहयोग से परिवार और समाज को मदद मिलेगी। इससे तर्कवादी आदर्शों का निर्माण होगा। एंगडे ने इस समय कहा। आयुक्त डॉ.नारनवारे ने छात्रों को सामाजिक न्याय पर्व के तहत क्रियान्वित की जा रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का भरपूर उपयोग कर नए समाज का निर्माण करें।
इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग के क्षेत्रीय उपायुक्त बालासाहेब सोलंकी, उपायुक्त विजय कुमार गायकवाड़, सहायक आयुक्त निशादेवी बंडगर सहित समाज कल्याण विभाग के अधिकारी, गृहस्वामी, कर्मचारी और पुणे शहर के सभी सरकारी छात्रावासों के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
साथ ही डॉ. सूरज एंगडे ने टेलीविज़न सिस्टम के माध्यम से बात की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति का लाभ उठाकर हम जिस सामाजिक स्थिति से आए हैं, उससे अवगत होकर समाज और देश का नाम रोशन करने के लिए निरंतर प्रयास करना आवश्यक है। उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा स्थापित आदर्शों को अपनी आंखों के सामने रखते हुए समाज, शहर, राज्य और देश से काम करने और अपने कार्यों के माध्यम से आदर्शों का निर्माण करने की अपील की।
समाज कल्याण आयुक्त डॉ. प्रशांत नारनवारे ने विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों की कठिनाइयों को जानने के बाद कहा कि वह आने वाले वर्षों में छात्रों की जरूरतों के अनुसार छात्रवृत्ति योजनाओं में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण बदलाव करेंगे। इस संवाद कार्यक्रम में चालीस देशों में पढ़ने वाले छात्रों ने भाग लिया।