Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी-चिंचवड़ शहर में पवना,इंद्रायणी और मुला तीन नदियां बहती हैं। हर साल इन नदियों में बड़ी मात्रा में पानी की पत्तियों के जमा होने से क्षेत्र के निवासियों को दुर्गंध के साथ-साथ मच्छरों का भी सामना करना पड़ता है।पालिका प्रशासन बिना ठोस उपाय किए हर साल करोड़ों रुपए जलकुंभी को हटाने पर खर्च कर देता है। इस साल यह खर्च 8 करोड़ से 28 करोड़ तक किया गया है। नदी के तल में हर साल बड़ी मात्रा में शैवाल जमा होते हैं। नदी का तल हरे भरे मैदान जैसा दिखता है। इससे नदी किनारे के रहवासी दुर्गंध से परेशान हैं।
साथ ही, मच्छरों की एक बड़ी आबादी स्वास्थ्य समस्या पैदा करती है। हर साल खासकर गर्मियों में यह प्रकोप बड़े पैमाने पर महसूस किया जाता है। जिसका समय-समय पर नगरसेवकों,समाजसेवियों और स्वयंसेवी संगठनों ने विरोध किया है। हालांकि पालिका प्रशासन ने जलकुंभी को स्थायी रूप से नष्ट करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में शहरवासियों के लिए यह समस्या आम हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग बारिश के मौसम को छोड़कर 8 महीने तक तीनों नदियों का जमा जलकुंभी के लिए हर साल करोड़ों खर्च किए जाते हैं। गत वर्ष 2022-23 में पवना एवं मुला नदी के लिए 3-3 करोड़ तथा मुला नदी के लिए 2 करोड़ खर्च किए गए। पालिका के बजट में प्रावधान किया गया था। आयुक्त शेखर सिंह ने वर्ष 2023-23 से पानी की पत्ती हटाने का कार्य स्वास्थ्य विभाग के बजाय पर्यावरण यांत्रिकी विभाग को सौंपा है। विभाग ने यंत्रवत् पानी के पत्तों को हटाने की योजना बनाई है। उसके लिए खर्चा भी बढ़ाया गया है।
तीन साल के इस काम पर 28 करोड़ रुपए खर्च दिखाया गया है। तदनुसार नगर पालिका के वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट में पवना एवं इंद्रायणी नदी प्रत्येक के लिए 10-10 करोड़ तथा मुला नदी के लिए 8 करोड़ का बढ़ा प्रावधान किया गया है। कुल 28 करोड़ का प्रावधान किया गया है। आयुक्त सिंह ने आमसभा की बैठक में नदी तल से पानी की पत्तियों को हटाने के कार्य के लिए राशि बढ़ाने की स्वीकृति दी।