Pcmc News पिंपरी (व्हीएसआरएस न्यूज) एकीकृत विकास नियंत्रण एवं संवर्धन विनियम के प्रावधानों के अनुसार, नगर पालिका द्वारा अनुमोदित विकास योजना में समावेशी आरक्षण के माध्यम से आरक्षण विकसित करने की कानूनी प्रक्रिया लागू की जा रही है। आयुक्त शेखर सिंह ने कहा है कि ऐसी प्रक्रिया लागू करते समय पालिका के हित को ध्यान में रखा गया है और यदि इस माध्यम से आरक्षण विकसित किया जाता है, तो पालिका को भूमि अधिग्रहण और निर्माण की लागत खर्च नहीं करनी पड़ेगी।
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया है कि मनपा अधिकारियों ने बड़ा टीडीआर घोटाला किया है। आयुक्त सिंह ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा, नियम क्रमांक. 11.1 तालिका क्रमांक में 5 समावेशी आरक्षण के माध्यम से विकास का प्रावधान करता है। तदनुसार, भूमि मालिकों को 50 प्रतिशत भूमि और 20 प्रतिशत निर्मित क्षेत्र पालिका को हस्तांतरित करने का प्रावधान है। इस तरह से आरक्षण विकसित होने पर पालिका को भूमि अधिग्रहण और उस पर निर्माण पर खर्च नहीं करना पड़ेगा। इस नियम में प्रावधान है कि हस्तांतरित क्षेत्र और उस पर निर्माण की लागत के बदले पालिका द्वारा भूमि मालिकों को हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) दिया जाना चाहिए।
आख़िर मामला क्या है?
पिंपरी-चिंचवड़ शहर की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार मौजे वाकड में क्र.सं. 122 में आरक्षण क्रमांक. 4/38 ट्रक टर्मिनस एवं पार्किंग, 4/38 एक पीएमपीएमएल बस डिपो आरक्षित करने का प्रस्ताव है। इन आरक्षणों का कुल क्षेत्रफल 6.31 हेक्टेयर है, जिसमें से 2 हेक्टेयर पीएमपीएमएल बस डिपो के लिए आरक्षित है। इस आरक्षित 2 हेक्टेयर आरक्षित भूमि का स्वामी विलास जावड़ेकर इन्फिनिटी डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड और उन्होंने समावेशी आरक्षण के माध्यम से आरक्षण विकसित करने के लिए पालिका को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जहां 665 करोड़ रुपये का टीडीआर मिलने की उम्मीद है, वहीं डेव्हलपर को 1136 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टीडीआर मिलेगा। वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि मनपा अधिकारियों ने विकास को 671 करोड़ का मुनाफा दिया है।
पीएमपीएमएल के अनुमोदन से स्वीकृत विकास योजना के अनुसार, पीएमपीएमएल के लिए आवश्यक निर्माण के लिए एकीकृत विकास नियंत्रण और संवर्धन विनियम (यूडीसीपीआर) के प्रावधान के अनुसार अनुमेय तल क्षेत्र सूचकांक (एफएसआई) का उपयोग करके पीएमपीएमएल के लिए पीएमपीएमएल बस डिपो के आरक्षण की योजना बनाई गई है। इस प्रस्ताव को पालिका की समावेशी आरक्षण समिति द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद निर्माण मानचित्रों को मंजूरी देकर समावेशी आरक्षण के माध्यम से आरक्षण के विकास के संबंध में विकासकर्ता और पालिका के बीच एक पंजीकृत समझौता किया गया है। इस समझौते में निर्माण का कुल क्षेत्रफल, बजट राशि, निर्माण और निर्माण सामग्री की गुणवत्ता, कार्य की अवधि, देरी के मामले में जुर्माना, अनुमेय टीडीआर सहित आवश्यक नियम और शर्तें रखी गई हैं। मई 2023 में समावेशी आरक्षण विकास समिति द्वारा समावेशी आरक्षण के माध्यम से विकास के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद निर्माण की अनुमति प्रदान कर निर्माण बजट को तकनीकी मंजूरी दे दी गई है। पर्यावरण विभाग से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद डेवलपर्स ने साइट पर खुदाई शुरू कर दी है।
देखरेख के लिए एक निजी संस्था की नियुक्ति
यह प्रोजेक्ट स्थापत्य विभाग के नियंत्रण में पूरा किया जाएगा और काम की निगरानी के लिए एक निजी संस्था को भी नियुक्त किया गया है। डेवलपर्स ने अक्टूबर 2023 के पहले सप्ताह से 6 नवंबर, 2023 तक पूरे किए गए काम के भुगतान के रूप में अनुबंध के अनुसार पहले चरण के लिए टीडीआर की मांग की थी। डेव्हलपर की मांग के अनुसार,शहर अभियंता ने यह सुनिश्चित करने के बाद कि साइट पर खुदाई पूरी हो गई है, डेव्हलपर को टीडीआर जारी करने की सिफारिश की। तदनुसार, टीडीआर समिति ने डेव्हलपर के प्रस्ताव और 2 अन्य प्रस्तावों सहित कुल 3 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी, सूचना नगररचना संचालक प्रसाद गायकवाड़ ने ऐसा बताया।
नियमों और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करके मान्यता-आयुक्त शेखर सिंह
चूँकि इस 2 हेक्टेयर क्षेत्र में अच्छी व्यावसायिक क्षमता है, इसलिए स्वीकृत विकास योजना के अनुसार संपूर्ण मैट क्षेत्र सूचकांक का उपयोग करके आरक्षण विकसित किया जाएगा और शेष क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण किया जाएगा। आरक्षण के विकास के बाद, पालिका को यूडीसीपीआर नियमों के प्रावधानों के अनुसार आरक्षण के तहत भूमि और संपूर्ण निर्माण निःशुल्क मिलेगा। इसके लिए पालिका के खजाने से कोई खर्च नहीं किया जाएगा। साथ ही व्यावसायिक निर्माण से पालिका को किराये के रूप में आय का स्रोत स्थायी रूप से शुरू हो जायेगा। आयुक्त शेखर सिंह ने कहा कि पालिका के हित को ध्यान में रखते हुए और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है, इसमें कोई अनियमितता नहीं है.