Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे से उत्तर भारत की ओर जाने वाली गाडियों में इन दिनों जबर्दस्त भीड़ का आलम है। सभी लोगों को अपने गांव शादी विवाह में पहुंचना जरुरी है। इसी का फायदा उठाकर दलालों का एक सक्रिय गिरोह गरीब यात्रियों को जनरल डिब्बों में सीट दिलाने के बदले 500 रुपये प्रति सीट खुलेआम वसूली कर रहे हैं। हमारे संवाददाता ने यात्री से सीट दिलाने के बदले पैसे लेते रंगे हाथ अपने कैमरे में वीडियो शूट किया। जब उससे पूछा गया कि आखिर यह पैसे किसलिए लिया? तो दादागिरी और हाथापाई करने लगा। आरपीएफ थाना इंचार्ज के संज्ञान में यह बात लायी गई तो वो कानून का पाठ पढाने लगे। कहा कि ये हमारा आदमी नहीं,इसने आरपीएफ का नाम लिया हो तो ऐसा वीडियो दिखाएं। पुणे रेलवे स्टेशन आरपीएफ इंस्पेक्टर का कहना है कि इस दलाल पर कई मुकदमे पंजिकृत है। लेकिन कोर्ट से 500 रुपये दंड भरकर छूट जाता है और फिर स्टेशन पर दलाली करते दिखता है। सवाल है कि आरपीएफ फोर्स की ताकत के आगे दलाल ज्यादा मजबुत है। या किसी प्रकार का डर भय है ? भुसावल रेलमंडल में कुछ महिने पहले अवैध हॉकर ने आरपीएफ के जवान पर प्राणघातक हमला करके भाग गया था। ऐसे दलालों,हॉकरों पर लगाम लगाने में क्या आरपीएफ विभाग नाकाम साबित हो रहा है ? चर्चा है कि कैमरे में कैद यह व्यक्ति जीरो आरपीएफ के रुप में काम करता है। डीआरएम इंदु दुबे से इतना बडा पुणे मध्य रेल मंडल विभग संभल नहीं रहा। वे अकार्यक्षम साबित हो रही है। रेलवे बोर्ड को इस पर ध्यान देना चाहिए।
यह दलाली का प्रकरण कल 21 अप्रैल की रात पुणे दानापुर ट्रेन नंबर 12149 के जनरल डिब्बों के सामने घटित हुआ। दलाल की ओर से पुणे स्टेशन पर दौंड एरिया साइड की ओर तीन अलग अलग लाइनें लगाई गई थी। ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आने से कुछ मिनट पहले आरपीएफ के कुछ जवान आए और उन्होंने तीन लाइन को एक लाइन में तब्दील कर दिया। दिखावे के तौर पर जनरल कोच में प्रवेश करने के दौरान आरपीएफ द्धारा कुछ वीडियो भी बनाए गए।
जनरल डिब्बों में सीट के बदले पैसों की दलाली,किसके आशीर्वाद से ?
सवाल उठता है कि आखिर यह व्यक्ति बार बार पुणे स्टेशन प्लेटफॉर्म पर सीट की दलाली कैसे कर रहा है? आरपीएफ के जवान आखिर देखकर मौन अवस्था में क्यों रहते हैं। चर्चा है कि बिना आरपीएफ प्रशासन और रेल विभाग प्रशासन के आशीर्वाद से खुलेआम सीट के बदले पैसे लेने की दलाली संभव नहीं। पुणे रेलमंडल की महाप्रबंधक(डीआरएम) इंदु दुबे अपने एसी कार्यालय में बैठकर मीटिंग करती है। जब बाहर निकलती हैं तो अपने आगे पीछे फौजफाटा के साथ निकलती है। उत्तर भारत की ओर जाने वाली गाडियों में भीड़ को कम करने की दिशा में क्या ठोस कदम अब तक उठाया? जनता सवाल कर रही है। ग्रीष्मकालीन नई गडियों का ऐलान दो दिन पहले होता है। प्रचार प्रसार के अभाव के कारण जरुरतमंद यात्री इन ग्रीष्मकालीन नई गाडियों से अनजान
रहते हैं। यही कारण है कि रेग्युलर गाडियों पर यात्री टूट रहे हैं और नई गाडियां खाली जा रही है। रेग्युलर गाडियों की फेरी अगर बढ़ाई जाए या अतिरिक्त कोच जोड़ा जाए तो काफी हद तक राहत मिल सकता है। वर्तमान में लोग धक्का मुक्की,झगड़ते,शौचालय के अंदर बैठकर जाने को मजबुर हैं।
महाप्रबंधक इंदु दुबे अकार्यक्षम,नहीं संभल रहा पुणे रेलमंडल
उत्तर भारत की ओर की गाडियां जब यॉर्ड में खड़ी रहती है तब दलालों का गिरोह अंदर घुसकर जनरल डिब्बों में सीटों पर कब्जा कर लेते है। यहां 5 घंटे पहले से यात्री अपने परिवार व सामान के साथ कड़ाकी धूप में लाइन पर लगे रहते है। स्टेशन पर गाडियां आने पर देखावा के लिए आरपीएफ जवान लाइन से यात्रियों को अंदर छोड़ते है। लेकिन अंदर पहले से ही दलालों के लोग सीटों पर कब्जा जमा रखते हैं। एक दलाल का मुखिया बाहर स्टेशन पर यात्रियों को सीट दिलाने के बदले पैसे का सौदा करता है। सौदा तय होने पर दलाल के माध्यम से सीट आवंटित की जाती है। रेलवे की संपत्ति का इस्तेमाल बिना निवेश दलाल कर रहे है। इतनी लंबी दलाली की योजना आखिर आरपीएफ स्टाफ को पता कैसे नहीं चलता? सहज अनुमान लगाया जा सकता है। कहने की जरुरत नहीं कि इस दलाली में किसके किसके मुंह और हाथ काले है। डीआरएम इंदु दुबे से इतना बडा पुणे मध्य रेल मंडल विभग संभल नहीं रहा। वे अकार्यक्षम साबित हो रही है। रेलवे बोर्ड को इस पर ध्यान देना चाहिए।
दलालों का गिरोह डिब्बों के अंदर किस रास्ते और कब एन्ट्री करके जनरल डिब्बों की सीटों पर कब्जा करते हैं? जब यॉर्ड में ट्रेन खडी रहती हैं तब या फिर स्टेशन पर आते ही पहले उनके लोगों को प्रवेश दिया जाता है? या फिर ट्रेन स्टेशन पर खड़ी होते ही पीछे का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश करवाया जाता है? यह सब किसकी मदद से ? जांच का विषय है। क्या डीआरएम इंदु दुबे इस खेल से पर्दाफाश खरेंगी?