Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) दौंड परिसर के भीमा नदी में एक ही परिवार के 7 लोगों के शव मिलने से राज्य में हड़कंप मच गया। इसके बाद इस बात को लेकर कई तरह के तर्क दिए गए कि इन लोगों ने आत्महत्या की या उनकी हत्या की गई। हालांकि पुलिस द्वारा की गई जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इन सभी सातों लोगों ने आत्महत्या नहीं की है बल्कि उनकी हत्या की गई है। पुलिस ने कहा कि इसके लिए सुनियोजित साजिश रची गई। पुणे पुलिस ने जांच के बाद चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस को 18 जनवरी से 22 जनवरी तक पांच दिनों में परगांव सीमा क्षेत्र में भीमा नदी के तल में चार शव मिले। इसमें दो पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। तलाशी के दौरान तीन बच्चों के शव मिले। मोहन उत्तम पवार (उम्र 45), उनकी पत्नी संगीता उर्फ शाहबाई मोहन पवार (उम्र 40, दोनों खामगाँव, जिला गेवराई, जिला बीड), दामाद शाम पंडित फलवारे (उम्र 28), बेटी रानी शाम फलवारे (उम्र) 24), नाटू रितेश उर्फ भैय्या शाम फलवारे (आयु 7), छोटू शाम फलवारे (उम्र 5) और कृष्ण शाम फलवारे (आयु 3, सभी हटोला, जिला वाशी, जिला धाराशिव) के निवासी के रूप में पहचाने गए हैं।
वास्तव में क्या हुआ?
मृतकों में एक मोहन पवार का पुत्र अमोल पवार तीन माह पहले अपने मौसेरे भाई धनंजय पवार के साथ अपनी ससुराल पेरने फाटा गया था। वहां से घर लौटते समय उनका एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे में धनंजय पवार की मौत हो गई, जबकि अमोल पवार बाल-बाल बच गए। इससे धनंजय के परिवार को शक हुआ कि धनंजय की हत्या की गई है। धनंजय के परिवार को शक था कि मोहन पवार के परिवार ने धनंजय पर करणी, काला जादू किया है और उसकी हत्या कर दी है। इसी शक के चलते धनंजय के परिवार ने मोहन पवार और उसके परिवार को भीमा नदी पर रोक लिया और तीन बच्चों समेत सात लोगों को नदी में फेंक दिया। इसमें सात लोगों की मौत हो गई।