Pune News पुणे-(व्हीएसआरएस न्यूज) लोकसभा चुनाव में राज्य के सबसे प्रतिष्ठित मुकाबले के रूप में देखी जा रही बारामती सीट पर मंगलवार को मतदान हुआ। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बारामती में कुल 56.97 फीसदी मतदान हुआ। पिछले चुनाव की तुलना में बारामती में मतदान में थोड़ी गिरावट आई है। 2019 में बारामती में 61.70 फीसदी वोटिंग हुई थी। सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच कांटे की टक्कर है। इसलिए वोटिंग में यह 5 फीसदी की कमी भी निर्णायक साबित होने की संभावना है।
बारामती लोकसभा में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों के वोटिंग आंकड़ों पर नजर डालें तो खडकवासला और पुरंदर में सबसे कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया है। उम्मीद थी कि सुनेत्रा पवार को इस सीट से बड़ी बढ़त मिलेगी क्योंकि खडकवासला सीट पर बीजेपी का दबदबा है। हालांकि, खडकवासला सीट पर सिर्फ 50 फीसदी वोटिंग हुई है। इसे महागठबंधन के लिहाज से चिंता का विषय माना जा रहा है। इसके अलावा शुरुआती दौर में अजित पवार का कड़ा विरोध करने वाले विजय शिवतारे को पुरंदर में सिर्फ 41.1 फीसदी वोट मिले हैं। अब तक चुनाव के दौरान बीजेपी के प्रबंधन के अनुभव को देखते हुए इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि मतदान के दिन बीजेपी अपने ज्यादा से ज्यादा वोटरों को कैसे घर से बाहर निकालेगी। हालांकि, पुरंदर और खडकवासल्या में मतदाता पूरी तरह से उदासीन दिखे।
चूंकि बारामती की घर की लड़ाई का केंद्र है, इसलिए जाहिर तौर पर इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 64.50 फीसदी मतदान हुआ है। उससे नीचे इंदापुर में 62.50 फीसदी और भोर में 48.34 फीसदी वोटिंग हुई है। मतदान के दिन ये दोनों प्रकरण खूब चर्चा में रहे। रोहित पवार ने आरोप लगाया था कि मतदान से एक रात पहले भोर के वेल्हे इलाके में अजीतदादा समूह द्वारा पैसे बांटे गए थे। इंदापुर में रहते हुए दत्तात्रय भरणे ने शरद पवार गुट के एक कार्यकर्ता के साथ दुर्व्यवहार किया था। इसलिए इंदापुर और भोर का इलाका दिन भर चर्चा में रहा। इंदापुर में अजितदादा गुट के दत्तात्रय भरणे ने पूरी ताकत लगा दी थी। इसके अलावा उन्हें बीजेपी के हर्ष वर्धन पाटिल का भी समर्थन मिला। इसलिए इंदापुर में वोटिंग प्रतिशत अच्छा रहा है। अजित पवार के नजरिए से ये सकारात्मक बातें हैं।
बारामती में वोटिंग की बड़ी खासियत
खड़कवासला बारामती लोकसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है। यहां मतदाताओं की संख्या भी सबसे ज्यादा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ खड़ी हुईं बीजेपी की कंचन कुल को खड़कवासला से 70 हजार की बढ़त मिली। हालांकि, इस साल खडकवासला में सिर्फ 50 फीसदी वोटिंग हुई है। यह मामला अजित पवार और महायुति के बीच तनाव बढ़ा रहा है। चूंकि खड़कवासला को बीजेपी और अजितदाद का समर्थन हासिल है, इसलिए इस इलाके से ज्यादा से ज्यादा वोट मिलना जरूरी था।
भोर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस विधायक संग्राम थोपटे ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इसलिए सुप्रिया सुले को इस सीट से बढ़त मिलने की उम्मीद है। 2019 की तुलना में भोर में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है। देखना होगा कि क्या ये बात सुप्रिया सुले की राह आसान बनाएगी? वहीं दौंड में, जहां से बीजेपी के राहुल विधायक हैं, वोटिंग प्रतिशत कम हुआ है। इसका फायदा सुप्रिया सुले को भी हो सकता है। भले ही पुरंदर विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत कम है, लेकिन 2019 की तुलना में इसमें ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, पुरंदर में वोटिंग पूरी तरह से सुनेत्रा पवार के पक्ष में होती है या नहीं, यह तो आने वाले समय में साफ हो जाएगा।