Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराई गई एक महिला की पेट की जांच करने वाले डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के कारण प्रसव के दौरान ही मौत हो गई। इस मामले में औंध जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और तीन नर्सों को दोषी पाया गया है और प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है और दो साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है। महिला को एक लाख का मुआवजा देने का आदेश प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट एन गजभये ने पारित किया।
औंध जनरल अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्पिता प्रदीप बावरकर (रेस्ट. मुकुंदनगर), डॉ. आत्माराम वेंकटराव शेजुल (48, रेजि. हडपसर), नर्स मनीषा भालचंद्र जोशी (रेस्ट. नवी सांगवी), उज्ज्वला दत्तात्रेय नागापुर (रेस्ट. यमुनानगर, निगडी) और शुभांगी रामचंद्र कांबले (रेस्ट. थेरगांव) ये सजा पाने वालों के नाम हैं। इस संबंध में औंध अस्पताल के ड्राइवर भगवान दौलत वाकोडे ने सांगवी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। कोर्ट ने उनकी बेटी मनीषा नीलेश ओरू (निवासी केशवनगर, वडगांवशेरी) को मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह घटना 29 नवंबर 2010 को हुई थी।
बेटी मनीषा ओरू को डिलीवरी के लिए 29 नवंबर 2010 को औंध अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके पेट दर्द के बारे में डॉ. बरवाकर, डॉ. शेजुल को बताया। लेकिन, उन्होंने जांच करने में लापरवाही बरती। साथ ही नर्सों ने डॉक्टर को मनीषा के पेट दर्द के बारे में बताने से भी इनकार कर दिया। डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के कारण जन्म के समय ही मनीषा के बच्चे की मौत हो गयी। इसलिए आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने अपराध के तकनीकी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य जुटाए और अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया। 50 हजार रुपये का जुर्माना और दो साल की साधारण कैद की सजा दी गयी है। वादी की बेटी को एक लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया है।