Pcmc पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पांच साल बाद पिंंपरी चिंचवड शहर में राष्ट्रवादी कांग्रेस के कार्यकर्ता,पदाधिकारी कुंभकर्णीय नींद से जागे और आज चिंचवड से मनपा भवन तक मोर्चा निकाले। इस मोर्चा से पुणे-मुंबई महामार्ग जाम हो गया जिसके चलते आम जनता को भारी परेशानी झेलनी पडी। मोर्चा 2 घंटे विलंब से शुरु हुआ क्योंकि भीड़ जुट नहीं पा रही थी। साथ ही आयोजकों के आयोजन का अभाव साफ दिखाई दिया। मोर्चा में शामिल चेहरों पर नजर डाली जाए तो अधिकांश लोग पैसे देकर बुलाए गए ऐसा जान पड़ता। चुनाव का मौसम है टिकट पाने वालों की होड़ है। अपने अपने प्रभाग से ज्यादा से ज्यादा लोगों को मोर्चा में लाने का टारगेट था,इसलिए इच्छुक उम्मीदवार अपना खर्च करके भीड़ जुटाई और राष्ट्रवादी ने शक्तिप्रदर्शन किया।
मोर्चा के जाम में फंसे वाहन चालकों का गुस्सा फूटा
यह मोर्चा भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ निकाला गया। महामार्ग में जाम में फंसे गाडी चालकों आम जनता ने अपनी प्रतिक्रिया में राष्ट्रवादी के आयोजकों को खूब खरी खोटी सुनाई। इनको 5 साल मनपा में भाजपा का भ्रष्टाचार नजर नहीं आया,अब चुनाव आ गया तो भ्रष्टाचार दिखाई देने लगा। पिछले पांच साल क्या राष्ट्रवादी वाले कुंभकर्ण के नींद में सो रहे थे क्या? मोर्चा से आम जनता को जो परेशानी झेलनी पड रही उसके लिए जिम्मेदार कौन? किसी को इमरजंसी में पुणे की ओर जाना है वह मोर्चा में फंस गया। लंबे रुट से जाने को विवश है। ऐसे मोर्चे को आखिर पुलिस विभाग अनुमति कैसे दी? मोर्चा के कारण फंसे वाहन चालकों में राष्ट्रवादी के प्रति गुस्सा,आक्रोश दिखाई दिया।
सत्ता की मलाई में राष्ट्रवादी भी खायी
आपको बतातें चलें कि पिछले पांच साल मुख्य विरोधी राष्ट्रवादी कांग्रेस के पदाधिकारी मनपा में सत्ताधारी भाजपा से…मिले सुर मेरा तुम्हारा…की भुमिका में रहकर सत्ता की मलाई का स्वाद चखा। स्थायी समिति,महासभा में ऐसे कई अनियमिता वाले टेंडर,विकास कामों को मंजूरी दी गई जो विवादित रहा,फिजूलखर्च वाला रहा,फिर भी राकांपा के स्थायी समिति में चार सदस्यों ने कभी मुंह नहीं खोला,महासभा में मजबुती के साथ विरोध नहीं किया। राकांपा के अधिकांश नगरसेवक गायब रहते थे,केवल मानधन मिलने के लिए हाजिरी लगाने आते थे,मूक समर्थन देते रहे।
राष्ट्रवादी जनता का विश्वास और जनाधार खो चुकी
राकांपा के पदाधिकारी,नगरसेवक सत्ताधारी भाजपा से सांठगांठ करके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष बडे बडे टेंडर लेकर तिजोरी भरने का काम किया। आज भी कई राष्ट्रवादी के स्थानीय नेताओं के ठेके चल रहे है। अब किस मुंह से भाजपा के भ्रष्टाचार की बात करेंगे? अगर भाजपा ने भ्रष्टाचार किया तो राष्ट्रवादी वाले भी दोषी है। पांच साल अध्यक्ष पद पर रहे संजोग वाघेरे के नेतृत्व में दिखावा के लिए बीच बीच में मोर्चा,आंदोलन हुआ। लेकिन पांच साल जिस प्रकार राष्ट्रवादी कांग्रेस वाले मौनीबाबा की भूमिका में नजर आए वह भी शहर की नागरिकों से छुपा नहीं। अब…जब चिडिया चुंग गई खेत..की हालत में राकांपा पहुंच गई तो मोर्चा,आंदोलन से न तो बात बनेगी और न मनपा में सत्ता आएगी। शहर में राकांपा जनता का विश्वास और जनाधार दोनों खो चुकी है।