Mumbai News मुंबई(व्हीएसआरएस न्युज) महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पारित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को इसे पेश किया था। इससे पहले विधानमंडल के विशेष सत्र से पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण के बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी थी। दरअसल, मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे। सरकार का मकसद है कि अन्य समुदायों के लाभों को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण प्रदान किया जाए।वहीं, विधानसभा में पारित होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण विधेयक को महाराष्ट्र विधान परिषद में पेश कर दिया है। अब विधान परिषद में इस पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग कराई जाएगी।
मुस्लिम समुदाय को 5% आरक्षण दो,सपा विधायक की मांग
समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कहा कि राज्य में मुस्लिम समुदाय को पिछड़ापन दूर करने के लिए आरक्षण मिलना चाहिए। सपा विधायक ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की ओर से मुस्लिमों को अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ’मुसलमानों के साथ न्याय के लिए यह जरूरी है कि उन्हें जल्द से जल्द 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। मराठा समुदाय को जो न्याय मिल रहा है। मैं उसका स्वागत करता हूं, मगर मुसलमानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।’
रईस शेख ने कहा कि मराठा समुदाय को पिछली सरकार की ओर से जब आरक्षण दिया गया, ठीक उसी दिन एक नोटिफिकेश जारी हुआ था जिसमें मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की बात थी। उन्होंने कहा, ’सरकार से हमारी अपील है कि अब जब न्याय किया जा रहा है तो उस अधिसूचना को देखा जाए। हर किसी के साथ न्याय होना चाहिए।’ एसपी विधायक ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से भी इस मामले पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा, ’मैं डिप्टी सीएम अजीत पवार से इसे लेकर अपील कर रहा हूं। उन्होंने यह वादा किया था कि राज्य में अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय नहीं होगा।’
विधेयक में क्या ?
महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 में प्रस्ताव दिया गया है कि आरक्षण लागू होने के 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है। विधेयक में बताया गया कि राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 प्रतिशत है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले कुल मराठा परिवारों में से 21.22 प्रतिशत के पास पीले राशन कार्ड हैं। यह राज्य के औसत 17.4 प्रतिशत से अधिक है। जनवरी-फरवरी के बीच किए गए सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि मराठा समुदाय के 84 फीसदी परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं आते हैं। ऐसे में वे आरक्षण के लिए पात्र हैं। विधेयक में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्या करने वाले किसानों में से 94 फीसदी मराठा परिवारों से हैं।
हाल ही में सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी गई थी
इससे पहले महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी थी। इस कवायद में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने बताया था कि मुख्यमंत्री शिंदे ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया है।
सर्वेक्षण 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में शुरू हुआ, जिसमें राज्य सरकार के 3.5 लाख से चार लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। सरकार ने इसी तरह की एक कवायद में कुनबी रिकॉर्ड खंगालने भी शुरू कर दिए हैं। कृषक समुदाय में आने वाले कुनबी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आते हैं और जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं।
मनोज जरांगे ने जताई निराशा
इस बीच मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि सरकार का यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है। यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है। मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा। हमारा फायदा तभी होगा, जब हमारी मूल मांगें पूरी की जाएं। इस आरक्षण से काम नहीं चलेगा। सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है। जरांगे फिलहाल मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।