Maharashtra News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) जिस पान की कीमत 10 से 20 रुपये होती है, उस पान को ड्रग्स माफियाओं द्वारा 1200 से 1500 रुपये में बेचा जा रहा है। यूपी पुलिस की एंटि नार्कोटिक्स टास्क फोर्स ने ठाणे पुलिस के साथ एक जॉइंट ऑपरेशन में इस रैकेट से जुड़े एक आरोपी राजेश कुमार तिवारी को महाराष्ट्र में अंबरनाथ में एक किराने की दुकान से गिरफ्तार किया। राजेश ने अपनी किराने की दुकान में पान की दुकान भी खोल रखी थी। इस केस की जांच से जुड़े उप निरीक्षक सुरेश गिरी ने बताया कि आरोपी के पास से हमने ड्रग्स भी जब्त की है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 30 करोड़ 40 लाख रुपये है।
इलाके में थे सैकड़ों ग्राहक
सुरेश गिरी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी राजेश के अपने इलाके में सैकड़ों ग्राहक थे। वह पान में ड्रग्स इसलिए मिलाता था, ताकि जांच एजेंसियों की नजरों से बाहर रहे। वह महाराष्ट्र से यूपी में भी ड्रग्स की सप्लाई करता था। उसका नाम यूपी एसटीएफ की जांच में तब सामने आया, तब उसके पिता प्रेमचंद्र तिवारी को 3 मार्च को गिरफ्तार किया गया। पिता के मोबाइल का जब पुलिस ने सीडीआर निकाला, तब उसके बेटे राजेश के नंबर को भी सर्विलांस पर रखा गया। तब यूपी एंटि नार्कोटिक्स टास्क फोर्स को पता चला कि ड्रग्स का यह बहुत बड़ा नेटवर्क है, जिसके तार बाप-बेटे के साथ कई और लोगों से भी जुड़े हैं।
किससे खरीदता था ड्रग्स
सुरेश गिरी के अनुसार, राजेश तिवारी ने पूछताछ में बताया कि वह यह ड्रग्स सोलापुर निवासी नागेश शिंदे और ठाणे निवासी शैलेंद्र अहिरवार से खरीदता था और अपने किराने की दुकान में रखकर 2 से 4 ग्राम पान में रखकर बेचता था या अलग से भी इस ड्रग्स की पुड़िया बनाकर बेचता था।
शैलेंद्र अभी वॉन्टेड
नागेश को 4 मार्च को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि शैलेंद्र अभी वॉन्टेड है। राजेश तिवारी ने जांच टीम को यह भी बताया कि वह यह ड्रग्स अपने पिता प्रेमचंद्र तिवारी के माध्यम से जौनपुर, अयोध्या, वाराणसी व यूपी के कुछ अन्य जिलों में भी इनकी सप्लाई करता था।
11 साल पहले आरोपी मुंबई आयाराजेश के अनुसार, वह साल 2013 में यूपी से मुंबई आ गया था और यहां ट्रक क्लीनर का काम करने लगा। उसी दौरान उसने ड्राइविंग भी सीख ली। दो तीन साल तक ट्रक ड्राइव करता रहा। बाद में उसने नवी मुंबई में वाशी में एक होटल के पास पान की दुकान खोल ली। वहां उसकी ड्रग्स तस्कर नागेश शिंदे से मुलाकात हुई और वह इसके बाद ड्रग्स का यह अवैध कारोबार पान की दुकान में करने लगा। ड्रग्स से जब उसकी कमाई बढ़ी, तो उसने दूसरी जगह किराने की दुकान खोल ली, लेकिन किराने की दुकान में भी पान की दुकान बरकरार रखी। उसका यह ड्रग्स का कारोबार तब तक छिपा रहा, जब तक कि यूपी में उसका पिता गिरफ्तार नहीं हुआ।