Mumbai News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र के अन्य भागों सहित मुंबई और एमएमआर में उत्तर भारतीय नेताओं का राजनीतिक कद भले ही न बढ़ा हो, लेकिन उत्तर भारतीय मतदाताओं की डिमांड हमेशा से बनी रही है। सभी राजनीतिक दल उत्तर भारतीय मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए नित नए उपाय आजमाते रहे हैं। मुंबई की सियासत में भी उत्तर भारतीय मतदाताओं का रुतबा बढ़ रहा है। ऐसे में उन्हें लुभाने की पार्टियां नई-नई योजनाएं बना रहे हैं। बीजेपी के साथ ही कांग्रेस इसमें पीछे नहीं है। शिंदे की शिवसेना भी अब इसमें कूद पड़ी है। हाल ही में उद्धव ठाकरे ने खुले मंच से उत्तर भारतीयों से साथ देने की अपील की है। एनसीपी अभी भी प्रतीक्षा सूची में खड़ी है।
हिंदी भाषी मतदाताओं का गणित
मुंबई के कुल मतदाताओं में करीब 40 से 42 फीसदी हिंदी भाषी मतदाता हैं। इसमें उत्तर भारतीय वोटर्स करीब 30 फीसदी हैं। सभी राजनीति दलों को यह बात अच्छी तरह समझ में आ गई है कि बिना उत्तर भारतीयों के मुंबई में राजनीति करना संभव नहीं है। महानगर पालिका, विधानसभा और लोकसभा की सीटें जीतने के लिए उत्तर भारतीयों का साथ जरूरी है। बिना इनके चुनावी नैया पार नहीं लग सकती।
जिसके संग उत्तर भारतीय,उसकी नैया पार
मुंबई का उत्तर भारतीय वोटर्स जिस भी राजनीतिक दल के साथ खड़ा होता है, उसकी जीत पक्की हो जाती है। कुछ साल पहले तक उत्तर भारतीय मतदाताओं के दम पर कांग्रेस की सरकार बनती थी। जब से उत्तर भारतीयों ने कांग्रेस का साथ छोड़ा, तब से उसकी सीटें लगातार घटती चली गईं। बीएमसी में भी कांग्रेस के नगरसेवकों की संख्या लगातार कम होती गई। अब बीजेपी की लॉटरी लगी है। नगरसेवक, विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में बीजेपी की सीटें लगातार बढ़ी हैं। मुंबई महानगर पालिका के चुनाव में बीजेपी इन्हीं उत्तर भारतीयों के दम पर इतरा रही है। उसे लगता है कि इस बार मुंबई का महापौर उनकी पार्टी का ही होगा।
पार्टियों की घर-घर जाओ नीति
उत्तर भारतीय मतदाताओं को रिझाने के लिए बीजेपी का उत्तर भारतीय मोर्चा सक्रिय हो गया है। पदाधिकारियों को मुंबई में रहने वाले प्रत्येक उत्तर भारतीय मतदाताओें के घर जाकर पार्टी की छवि और जनाधार मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। कांग्रेस भी उत्तर भारतीय नेताओं के साथ बैठक कर रही है। पदाधिकारियों को उत्तर भारतीय समाज को पार्टी से जोड़ने को कहा है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड खुद उत्तर भारतीयों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं। आगामी मनपा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा उत्तर भारतीयों को टिकट दे सकती है। इधर, शिंदे सेना भी उत्तर भारतीय सेल को सक्रिय कर रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उत्तर भारतीय सेल के कई पदाधिकारियों को नियुक्ति प्रमाण पत्र भी सौंपा है।
उद्धव ठाकरे ने मांगा साथ
उत्तर भारतीय मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए मुख्यमंत्री शिंदे के गढ़ ठाणे में उद्धव ने एक सार्वजनिक सभा की, जिसमें उत्तर भारतीयों का साथ मांगा। हालांकि उन्हें मजबूत जनाधार वाले उत्तर भारतीय नेता की तलाश है। एनसीपी में बंटवारे के बाद पार्टी के उत्तर भारतीय नेता पशोपश में हैं, निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि वे किस पवार के साथ जाएं।