Pune News पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे में कुछ दिनों से डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इसलिए नागरिकों से सावधानी बरतने का अनुरोध किया गया है। जुलाई में पुणे पालिका सीमा में अब तक डेंगू के 92 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों को डेंगू से बचाव की सलाह दी है।
जुलाई में पुणे पालिका सीमा में डेंगू के 92 संदिग्ध मामले पाए गए। उनमें से 12 को डेंगू के लक्षण की पुष्टि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल लगभग 10 से 40 मिलियन लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। क्षेत्रीय कार्यालयों के स्तर पर, मच्छरों से प्रभावित स्थानों की खोज की जा रही है और दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है और नायडू अस्पताल और कमला नेहरू अस्पताल के वार्डों को डेंगू रोगियों के इलाज के लिए तैयार किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने डेंगू और अन्य महामारी संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए कुछ सलाह दी है। मच्छरों के प्रजनन स्थलों की भी निगरानी की जानी चाहिए और जन भागीदारी के माध्यम से जल निकायों का रखरखाव किया जाना चाहिए। रैपिड एक्शन टीम द्वारा किये जाने वाले कार्यों के लिए एक मैनुअल तैयार कर स्टाफ को दिशा-निर्देश एवं अन्य निर्देश दिये जायें। दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रखा जाए। इस मौके पर उन्होंने सुझाव दिया कि ग्राम पंचायतों और नगर पंचायतों में महामारी की जानकारी देने के लिए बोर्ड लगाए जाएं। महामारी की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए व्यापक जागरूकता पैदा करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने यह भी कहा है कि स्वास्थ्य विभाग कठिन परिस्थितियों में अच्छी जिम्मेदारी निभा रहा है और बरसात के मौसम में स्वास्थ्य स्थिति को ठीक से संभालने के लिए सभी को सक्रिय रहना चाहिए।
सभी गांवों में उपाय लागू किए जाएं’
डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से संवेदनशील गांवों की सूची तैयार की गई है। गृह भ्रमण एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से सर्वेक्षण एवं रोगी खोज अभियान चलाया गया है। चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा आश्रम विद्यालयों का नियमित दौरा किया जा रहा है। जल गुणवत्ता नियंत्रण 76 हजार जल नमूनों का परीक्षण किया गया है। जल स्रोतों का सर्वेक्षण कर प्रत्येक गांव को हरा, पीला, लाल कार्ड दिया गया है।
परिसर की साफ-सफाई, मच्छरों से व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए मच्छरदानी, मच्छर रोधी क्रीम, खिड़की स्क्रीन पर परामर्श दिया गया है। प्रयोगशाला सत्यापन, पर्याप्त दवा भंडार, त्वरित प्रतिक्रिया टीमों की स्थापना और ग्राम-स्तरीय महामारी विज्ञान सर्वेक्षण के साथ-साथ अंतर-विभागीय समन्वय और स्वास्थ्य शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है।