पिंपरी(व्हीएसआरएस) प्रदेश में कोरोना मरीजों में म्यूकोमाइकोसिस का खतरा बढ़ गया है। राज्य के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में म्यूकोमाइकोसिस के मरीज पाए जाते हैं। पिंपरी-चिंचवड़ शहर में भी म्यूकोमाइकोसिस के मरीज मिले हैं। पिंपरी चिंचवड मनपा के यशवंतराव चव्हाण अस्पताल में इस बीमारी से 12 मरीजों की मौत हो चुकी है तो दो दिन में 70 मरीज भर्ती हुए हैं। यशवंतराव चव्हाण अस्पताल में रोजाना 3 मरीजों का ऑपरेशन हो रहा है। पिंपरी-चिंचवड़ के निजी अस्पताल भी मायोकार्डियल इंफार्क्शन के मरीजों का इलाज कर रहे हैं पिंपरी-चिंचवड़ पालिका का स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी की अधिक घटनाओं को लेकर चिंतित है। शहर के सबसे बड़े यशवंतराव चव्हाण अस्पताल में म्यूकोमाइकोसिस से 12 मरीजों की मौत हो गई। दो दिनों में 70 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पिंपरी-चिंचवड़ के निजी अस्पताल भी म्यूकोमाइकोसिस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हालांकि,पालिका के स्वामित्व वाले निजी अस्पतालों की सही संख्या का पता नहीं चल सका है।
ब्लैक फंगस के नए मरीज
जैसे ही नए ब्लैक फंगस रोग,माइकोरिज़ल माइकोसिस के रोगियों की संख्या बढ़ने लगी,इसने राज्य सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश की। इससे निपटने के लिए डॉ.आशीष भुमकर के साथ एक विशेष टीम बनाई गई है। इसमें दंत चिकित्सक,ईएनटी सर्जन और नेत्र विशेषज्ञ,एनेस्थिसियोलॉजिस्ट जैसे डॉक्टरों की एक टीम है। सभी की पहल से हम इस संकट को एक साथ मात देने में सफल होंगे। ऐसा विश्वास डॉ. श्रीकांत शिंदे ने उस समय व्यक्त की थी।
ऐसे मरीजों की नाक की एंडोस्कोपी करानी चाहिए
ब्लैक फंगस के लक्षण मुख्य रूप से मधुमेह वाले व्यक्ति में कोरोनरी हृदय रोग के कुछ दिनों बाद दिखाई देते हैं। इसलिए समय रहते इस बीमारी से बचना है तो ऐसे मरीज के शुगर लेवल की समय से जांच करानी चाहिए, राज्य के कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. शशांक जोशी ने किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जो मरीज 21 दिनों से अधिक समय से अस्पताल में हैं, उन्हें नाक की एंडोस्कोपी करानी चाहिए।
औरंगाबाद में ब्लैक फंगस का कहर
औरंगाबाद में इस समय कोरोना के बाद मायोकार्डियल इंफार्क्शन हो रहा है। पिछले डेढ़ महीने में औरंगाबाद में मायोकार्डियल इंफार्क्शन ने 16 लोगों की जान ले ली है। जिले में अब तक 201 मरीजों में म्यूकोमाइकोसिस हो चुका है। अब तक 113 आंखें निकाली जा चुकी हैं। राज्य में सबसे ज्यादा म्यूकोमाइकोसिस के मरीज औरंगाबाद में हैं। औरंगाबाद में भी मृत्यु दर सबसे अधिक है। इसके चलते स्वास्थ्य व्यवस्था दहशत में है।