पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुणे पालिक की हेल्पलाइन पर कॉल कर बेड की उपलब्धता की जांच की। इसके बाद हेल्पलाइन पर काम कर रहे स्टाफ की पूरी टीम को बदलने का फैसला किया गया। हाईकोर्ट से कॉल आने के बाद संतोषजनक जवाब नहीं देने पर कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। हेल्पलाइन पर काम करने वाले कर्मचारी शिक्षक थे,इसलिए वे उचित जवाब नहीं दे सकते थे,जैसा कि पालिका द्वारा दिया गया था। लेकिन क्या वरिष्ठ अधिकारी और पदाधिकारी हेल्पलाइन पर काम करने वाले कर्मचारियों पर बेड नहीं मिलने का आरोप लगाकर गुमनाम रहने की कोशिश कर रहे हैं? इसलिए ऐसा सवाल पूछा जा रहा है। कोरोना के मरीजों के समुचित इलाज के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान पुणे में कोरोना मरीजों का समुचित इलाज हो रहा है और पालिका के पास फिलहाल 27 बेड ऑक्सीजन और तीन बेड वेंटिलेटर उपलब्ध है। इस दावे की पुष्टि के लिए जज ने तुरंत याचिकाकर्ताओं के वकीलों को पुणे पालिका की हेल्पलाइन पर कॉल करके बेड के बारे में पूछने को कहा। हेल्पलाइन पर काम करने वाली एक महिला ने जवाब दिया कि बिस्तर उपलब्ध नहीं है। न्यायाधीश ने तब पुणे पालिका के वकीलों से हेल्पलाइन पर कॉल करने और यह पूछने के लिए कहा कि क्या बिस्तर उपलब्ध है। पालिक के वकीलों ने भी हेल्पलाइन पर फोन किया। हालांकि उन्हें भी बताया गया कि बेड उपलब्ध नहीं है। इसके बाद पुणे पालिका प्रशासन ने हेल्पलाइन की पूरी टीम को बदलने का निर्णय लिया।