National News नई दिल्ली (व्हीएसआरएस न्यूज) ’नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के नाम से आए महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा हो रही है. लोकसभा से पास होने के बाद इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। ऐसे में जानते हैं कि बिल अगर कानून बनता है तो ये कब से लागू होगा? एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है? संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पेश हो गया है।
’कोटे में मिले कोटा…’, सोनिया गांधी ने की मांग,जातिगत जनगणना की भी डिमांड सदन में की। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और सपा सांसद डिंपल यादव ने भी बिल में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने की मांग की। सुप्रिया ने कहा कि सरकार बड़ा दिल करके बिल में एसी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करे। वहीं, सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि बिल में ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।
महिला आरक्षण बिल 27 साल से अटका पड़ा था। 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार में इस बिल को पहली बार लाया गया था। साल 2010 में ये बिल यूपीए सरकार में राज्यसभा से पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में इसे पेश नहीं किया गया। अब इस बिल को फिर संसद में लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को सर्वसम्मति से पास कराने का अनुरोध किया है। इस बिल पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी। यहां से बिल पास कराने में सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी। लोकसभा से पास होने के बाद बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
1. बिल क्या है?
ये बिल लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देता है। बिल के कानून बनने से लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी।
2. कितनी सीटें महिलाओं के लिए होंगी?
33%. यानी लोकसभा में अभी 543 सीटें हैं। इनमें से 181 सीटें महिलाओं के लिए होंगी. इसी तरह विधानसभाओं में जितनी सीटें होंगी, उसकी 33% सीटें रिजर्व रहेंगी। उदाहरण के लिए- दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें हैं. उसकी 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी।
3. सभी राज्यों की विधानसभाओं में रहेंगी सीटें?
हां. बिल को सिर्फ संसद से पास कराने की जरूरत है। बिल कानून बनता है तो सभी राज्यों में भी लागू होगा। इसके लिए राज्यों की मंजूरी जरूरी नहीं है। इसलिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा।
4. राज्यसभा में भी होगा ऐसा?
नहीं। महिलाओं को आरक्षण सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं में मिलेगा। राज्यसभा और विधान परिषद में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा।
5. एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण है?
नहीं. एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण नहीं है। उन्हें आरक्षण के अंदर ही आरक्षण मिलेगा। यानी, लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी।
6. कितनी सीटें होगी एससी-एसटी महिलाओं के लिए?
इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। बिल के कानून बनने के बाद 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। इसी तरह 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए होंगी।
7. ओबीसी महिलाओं के लिए?
लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। एससी-एसटी की आरक्षित सीटों को हटा देने के बाद लोकसभा में 412 सीटें बचती हैं। इन सीटों पर ही सामान्य के साथ-साथ ओबीसी के उम्मीदवार भी लड़ते हैं। इस हिसाब से 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी।
8. कब से लागू होगा ये बिल?
इसके लागू होने में लंबा वक्त लग सकता है। बताया जा रहा है कि जनगणना के जब परिसीमन होगा, तब ये कानून लागू होगा। यानी, 2024 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं होगा।
9. परिसीमन कब होगा?
जब तक जनगणना नहीं हो जाती, तब तक परिसीमन नहीं होगा। अभी 2021 की जनगणना नहीं हुई है। 2024 के चुनाव के बाद ही जनगणना होने की संभावना है। संविधान के तहत, 2026 तक परिसीमन पर रोक लगी है। अब जब 2021 की जनगणना होगी, उसके बाद ही लोकसभा सीटों का परिसीमन होगा। हो सकता है कि 2029 या फिर 2034 के लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण का फायदा मिले।
10. राज्यों की मंजूरी लेनी होगी क्या?
संविधान का अनुच्छेद-368 कहता है कि अगर केंद्र सरकार के कानून से राज्यों के अधिकारों पर कोई प्रभाव पड़ता है तो ऐसे मामलों में कानून बनने के लिए कम से कम 50% विधानसभाओं की मंजूरी लेनी होगी। यानी कि अगर केंद्र सरकार को ये कानून देशभर में लागू करना है तो इसे कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से भी पास कराना होगा। हालांकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि इसकी जरूरत नहीं होगी।