Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) हाई कोर्ट ने बुधवार को रक्षा मंत्रालय के साथ पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम को खड़की में गोला-बारूद फैक्ट्री के प्रतिबंधित क्षेत्र में बने अवैध निर्माणों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादियों को प्रतिबंधित क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति न देने का आदेश दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने उपरोक्त आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि मामला केवल अवैध निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि रक्षा मंत्रालय परिसर के अतिक्रमण से भी जुड़ा है। साथ ही कोर्ट ने इस सर्वे को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा। वहीं, मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण सर्वे रिपोर्ट आने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संरक्षण विभाग की जमीन पर अवैध निर्माण हो चुका है। इसलिए रक्षा विभाग ने टिप्पणी की कि इस मामले में कार्रवाई करने में और अधिक सक्रिय होने की जरूरत है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि कार्यों पर कार्रवाई के संबंध में उचित आदेश दिये जायेंग। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में रक्षा मंत्रालय के संबंधित अधिकारी की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर नाराजगी जताई थी।
पुणे स्थित दो निवासियों ने गोला-बारूद फैक्ट्री के प्रतिबंधित क्षेत्र में खड़ी आवासीय इमारतों का मुद्दा उठाते हुए एक जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादियों को इस क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण न होने देने का आदेश दिया जाए। इसी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गोल बारुद फैक्टरी इलाके के प्रतिबंधित क्षेत्र में बने अवैध निर्माणों का सर्वे करने का आदेश दिया।
इस बीच कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इन याचिकाओं पर संज्ञान लेकर इलाके में भवन निर्माण की इजाजत देने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। अदालत ने यह भी कहा कि ये इमारतें अनियमित शहरी नियोजन का हिस्सा हैं और प्रतिबंधित क्षेत्रों में इमारतों का निर्माण करके मानव जीवन को खतरे में डालना गलत है। इस बीच, रक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार, पुणे और पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम के आयुक्त और पुणे कलेक्टर ने एक बैठक की और मुद्दे का व्यावहारिक समाधान निकालने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर प्रतिवादी इस मामले में जरूरी समाधान ढूंढने में विफल रहा तो सख्त कार्रवाई का आदेश दिया जाएगा।