National News बेंगलुरु(व्हीएसआरएस न्यूज) चंद्रयान-3 सफल लैंडिंग करके चांद पर तिरंगा लहराया। इसी के साथ देशवासियों का सिना गर्व से उंचा हो गया। देशभर में जश्न का माहौल शुरु हो गया है। भारत ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिग कर ली है। चांद के इस हिस्से में यान उतारने वाला भारत पहला देश बन गया है। जबकि चांद के किसी भी हिस्से में यान उतारने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन को ही यह कामयाबी मिली है। यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई। अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है।
अब बच्चे सिर्फ चंदा मामा नहीं बुलाएंग। चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को पूरा करेंगे। करवा चौथ की छन्नी से सिर्फ चांद नहीं बल्कि देश की बुलंदी भी दिखेगी। चंद्रयान-3 के रुप में भारतमाता ने अपने भाई चांद को राखी बांधी। चार साल से इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिक जो मेहनत कर रहे थे, वो पूरी हो चुकी है. भारत का नाम अब दुनिया के उन चार देशों में जुड़ गया है, जो सॉफ्ट लैंडिंग में एक्सपर्ट हैं. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ-साथ करीब 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना भी काम कर गई।
विक्रम लैंडर के चांद पर सफल लैंडिंग के बाद पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की विक्रम लैंडर को चांद पर सफल लैंडिंग करने के बाद बाद इसरो सहित पूरे देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मैं साइटिस्टों को कोटि कोटि बधाई देता हूं। उन्होंन कहा, भारत चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। चंदा मामा बहुत दूर के है अब वो भी दिन आएगा जब बच्चे कहेंगे कि चंदा मामा एक टूर के है।
कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग?
– विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की. अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक।
– 7.4 ज्ञा की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी। अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था।
– 6.8 ज्ञा की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था।
– 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लग।
– 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच।
– 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच।
– 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी।
– चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी।