देव से देश,राम से राष्ट्र चेतना का विश्वास
हमारे रामलला अब टेंट में नहीं,दिव्य मंदिर में रहेंगेे-मोदी
मोदी-योगी को चांदी का बना राम मंदिर प्रतिकृति भेंट
National News अयोध्या(व्हीएसआरएस न्यूज) वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर में श्रीरामलला का प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुआ। भारत के इतिहास में आज एक और अध्याय जुड गया। आज रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या में इतिहास रचा गया। इस पल का सभी सनातनियों के साथ-साथ पूरे देश को अरसों से इंतजार था। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई। मंदिर के गर्भगृह में पीएम मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रहीं।
हमारे राम अब टेंट में नहीं रहेंगे। अब दिव्य मंदिर में रहेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विचार प्रभू श्रीराम के चरणों में अर्पित करते हुए कहा कि श्रदेय मंच,साधू संत…सियाबल रामचंद्रजी की जय…आज हमारे राम आ गए हैं। सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए। बलिदान,त्याग तमस्या के बाद प्रभू राम आ गए। गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना के साथ उपस्थित हुआ हूॅ। मेरा शरीर प्रफल्लित है। चित राम में लीन है। हमारे राम अब टेंट में नहीं रहेंगे। अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा पक्का विश्वास है कि जो घटित हुआ है देश,विश्व के कौने कौने में रामभक्तों को हो रही होगी। 22 जनवरी 2024 का यह सूरज एक अदभूत आभा लेकर आया है। कलेंडर पर लिखी तारिख नहीं कालचक्र का प्रतिक है जो अनंतकाल तक स्मरणीय रहेगा। राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर के निर्माण से आग भड़क जाएगी, लेकिन उन्हें फिर से सोचना चाहिए है क्योंकि राम भगवान अग्नि नहीं, ऊर्जा हैं, पीएम मोदी ने विपक्षी दलों का नाम लिए बिना कहा, ”वो भी एक समय था जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए। रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है।”
सदियों के धैर्य से यह धरोहर राम मंदिर मिला-मोदी
सदियों के धैर्य से यह धरोहर मिली है,राम मंदिर मिला है। हौसला लेता राष्ट्र,ऐसे ही नव इतिहास का सर्जन करता है। यह सामान्य समय नहीं कालचक्र के श्याही से अमिट स्मृति है। जहां राम का काम होता है वहां पवनपूत्र विराजमान होते है। हनुमानगढी,माता जानकी,लक्ष्मण भरत सरयु को प्रणाम करता हूँ। एक दैविय चेतना का अनुभव कर रहा हूँ। प्रभू राम से क्षमा याचना करता हूँ। हमारे त्याग,तपस्या में कुछ कमी रह गई होगी। इतने वर्षों से रामकाज कर नहीं पाए। विश्वास है कि रामजी हमको क्षमा करेंगे।
न्यायपालिका का आभार,जिसने न्याय की लाज रखी-मोदी
वियोग 14 वर्ष का था इस युग में तो अयोध्या,देशवासियों ने सैकडों वर्ष का वियोग सहा। भारत के संविधान के पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। लंबी कानूनी लडाई चली। प्रभू राम का मंदिर भी न्याय के मार्गदर्शन में हुआ। न्यायपालिका का आभार,जिसने न्याय की लाज रख ली। सागर से सरयु तक रामभाव की अनुभूति हो रही है। हर युग में राम को जीया है,अपने अपने शब्दों में अभिव्यक्ति किया है। रामरस जीवन प्रवास की तरह निरंतर बहता है। रामकथा आसीम है,रामकथा अनंत है। रामकाज में कितने कारसेवकों,रामभक्तों ने प्राण न्योछावर कर दिए,हम उनके कर्जदार है। यह अवसर विजय का नहीं बल्कि विनय का भी है। कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं। गांठें खोलने में काफी मुश्किलें आती है। हमारे देश ने इस गांठ को जिस भावुकता के साथ खोला वह प्रशंसनीय,अतुल्यनीय है। राम मंदिर निर्माण शांति,सदभाव का प्रतिक है।
देव से देश,राम से राष्ट्र चेतना का विश्वास
भारत की दृष्टि,राष्ट्र चेतना का विश्वास,आस्था,भारत काआधार,विचार,विधान,चिंतन,प्रताप,नीति,निरंतर,व्यापक,विश्वात्मा है। राम हजारों वर्षों के लिए प्रतिष्ठित हुए। अयोध्या भूमि सवाल कर रहा है अब आगे क्या? ऐसे ही विदा नहीं करेंगे,अपने देवी देवताओं को। यह कालचक्र बदल रहा है। यही समय है सही समय है। अगले एक हजार साल भारत की नींव रखनी है। क्षमा,दिव्य भारत की सौगंध लेते है। राम के विचार जनमानस में हो,यही राष्ट्र निर्माण की सीढी है। हनुमानजी की भक्ति,शक्ति बाहर खोजना नहीं पडता। जंगल में कुटिया में गुजारने वाले मेरी माँ सबरी कब से कहती रही कि मेरे राम आएंगे। देव से देश,राम से राष्ट्र चेतना का विश्वास,गिलहरी के योगदान को याद करना होगा। सबके प्रयास की यही भावना भारत का आधार बनेगा। लंका महाबली ज्ञानी था,लेकिन जटायु ने भी चुनौति दी। राम की पूजा अहम होनी चाहिए। नित्य पुरुषार्थ,पराक्रक का प्रसाद चढाना होगा। भारत युवा शक्ति की पूंजि से भरा है। अब चूकना नहीं,बैठना नहीं है। भारत का नवप्रभात लिखना होगा। आने वाला समय सिद्धि का है,भारत के उदय का साक्षी बनेगा राममंदिर। इस युग,कालखंड का इंतजार किया है। इसी भाव के साथ रामलला के चरणों,संतों के चरणों में प्रणाम करता हूँ। सियाबलि रामचंद्र की जय…