National News अयोध्या(व्हीएसआरएस न्यूज) पीएम मोदी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए मुख्य यजमान होंगे या नहीं, इस पर भ्रम बना हुआ है। कुछ रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा को ’मुख्य यजमान’ बनाया गया है, लेकिन एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 जनवरी के अनुष्ठान के लिए पीएम मोदी मुख्य यजमान होंगे। तो सवाल है कि आख़िर सच क्या है?
ट्रस्टी अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा को ’मुख्य यजमान’ बनाया गया
22 जनवरी को होने वाली इस प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान 16 जनवरी को शुरू हुए और इसमें राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा को ’मुख्य यजमान’ बनाया गया है। मंगलवार को मिश्रा ने मंत्रोच्चार के बीच सरयू नदी में डुबकी लगाकर शुरुआत की और फिर ’पंचगव्य’ (गाय का दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत्र) लिया, जिसके बाद उन्होंने उपवास शुरू किया। इसके बाद उन्होंने मंगलवार के अनुष्ठान में भाग लिया। अनुष्ठान करने वाले पुजारियों में से एक अरुण दीक्षित ने मीडिया से कहा है कि 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य की उपस्थिति में इसका समापन होगा।
अरुण दीक्षित ने कहा कि अनिल मिश्रा को ’प्रधान यजमान’ नामित किया गया है और अगले कुछ दिनों में सभी समारोहों में उपस्थित रहेंगे। अरुण दीक्षित के पिता वाराणसी के लक्ष्मीकांत दीक्षित अनुष्ठान के मुख्य पुजारी हैं।
आधे अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा धर्मशास्त्र के विरुद्ध-शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेशवरानंद
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेशवरानंद ने एक साक्षात्कार में कहा कि मंदिर परमात्मा का शरीर है,शिखर आंखें और कलश उनका सिर है। अभी सिर बना ही नहीं केवल धड़ बना है। धड़ में प्राण प्रतिष्ठा कर देंगे तो दिव्यांग हो गया। मर्यादा पुरुषोत्तम पूर्ण पुरुष हैं उनका दिव्यांग मंदिर में कैसे प्राण प्रतिष्ठा कर दोगे। 22 जनवरी को केवल आयोजन है प्राण प्रतिष्ठा नहीं। धर्म की दृष्टि से प्राण प्रतिष्ठा शब्द उचित नहीं। प्रधानमंत्री ने धर्मनिरपेक्षता की शपथ दो बार ली है। चुनाव आयोग में भाजपा ने शपथपत्र दे रखा है कि हम धर्मनिरपेक्ष रहेंगे। भाजपा के हर सक्रिय सदस्य पर यह लागु होता है। सांसद सदस्य फिर प्रधानमंत्री होने के नाते शपथ ली। इसलिए किसी भी धर्मकार्य में उनका सीधा अधिकार तो बनता नहीं। या फिर सभी धर्मों के कार्यक्रमों सम्मिलत हो तो धर्मनिरपेक्षता की शपथ साकार होगी। प्रधानमंत्री विवाहित हैं तो उनको पत्नी के साथ पूजा में बैठना अनिवार्य है। यजमान होने के लिए पत्नी का होना जरुरी है। धर्मकार्य में आपको अपने बगल में स्थान दूंगा ऐसा वचन विवाह के सात फेरों के वक्त दिया जाता है।
मिसकॉल से 10 करोड सदस्य,चुनावी वोट 21 करोड…आधे से ज्यादा हिंदू सनातनी गुरुओं के साथ-शंकराचार्य
अमित शाह मिसकॉल से 10 करोड लोगों को भाजपा का सदस्य बनाने का दावा करते हैं। चुनाव में 21 करोड वोट मिला। इतने लोेग उनके हो गए। बाकी हिंदू कहां गए? वो तो सनातनी हैं,गुरुओं के आदेश को मानते है। इस आधार पर अभी भी आधे से ज्यादा हिंदू इनके साथ नहीं है। दलाईलामा को प्रोटोकाल देते हो जबकि वो हिंदूओं के धर्मगुरु नहीं,शंकराचार्यो को प्राण प्रतिष्ठा में नहीं बुलाते।काशी में विश्वनाथ कारिडोर बना रहे थे,इस दौरान 150 मंदिर तोड़ दिए गए। मूर्तियों को भी तोड़ा गया,उसे मलबे में फेंका गया। उसमें हमारे पौराणिक मंदिर थे जो 500-1000 साल पुराने मंदिर थे। औरंगजेब से हम इसी कारण नफरत करते हैं अगर वही काम हमारा भाई कर रहा तो कैसे चुप रहें,कैसे बक्श दें? जो नफरत औरंगजेब से वही नफरत इन मूर्ति तोड़ने वालों से होनी चाहिए। हिंदू भावना की जब रक्षा कोई नहीं करेगा,तो एक शंकराचार्य होने के नाते उसके विरुद्ध खड़ा होना पड़ेगा। वेदशास्त्र को नहीं मानेंगे,गुरुओं को नहीं मानेंगे,धर्माचार्यो को नहीं मानेंगे। हमारा नेता जो कह देगा वही सत्य, यह माहौल बनाकर हिंदूओं को पटरी से उतारा जा रहा है। एक राजा आया और हिंदूओं को पटरी से उतार रहा है। राजा जो कहे वही धर्म समझने की परंपरा शुरु है।
अगर नई मूर्ति की स्थापना होगी तो रामलला विराजमान का क्या होगा? शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पत्र लिखा है। इस पत्र में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाए हैं कि राम मंदिर परिसर में अगर नई मूर्ति की स्थापना होगी, तो रामलला विराजमान का क्या होगा? शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज को लिखे पत्र में कहा, कल समाचार माध्यमों से पता चला है कि रामलला की मूर्ति किसी स्थान विशेष से राम मंदिर परिसर मे लाई गई है और उसी की प्राण प्रतिष्ठा निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में की जानी है। एक ट्रक भी दिखाया गया, जिसमें वह मूर्ति लाई जा रही बताई जा रही है। उन्होंने कहा, इससे यह अनुमान होता है कि नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में किसी नवीन मूर्ति की स्थापनी की जाएगी, जबकि श्रीरामलला विराजमान तो पहले से ही परिसर में विराजमान हैं। यहां प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा? अभी तक राम भक्त यही समझते थे कि यह नया मंदिर श्रीरामलला विराजमान के लिए बनाया जा रहा है पर अब किसी नई मूर्ति के निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठा के लिए लाए जाने पर आशंका प्रकट हो रही है कि कहीं इससे श्रीरामलला विराजमान की अपेक्षा ना हो जाए।
राम लला की मूर्ति का अभिषेक करने के लिए वैदिक विद्वानों और पुजारियों के दल का नेतृत्व करने के लिए अयोध्या रवाना होने से पहले काशी के अनुभवी वैदिक कर्मकांड विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने मंगलवार को साफ़ कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में अभिषेक अनुष्ठान के मुख्य यजमान होंगे। चूँकि प्रधानमंत्री मंगलवार से शुरू हुए सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए लंबे समय तक नहीं रुक सकते,इसलिए अन्य लोग यजमान के रूप में उनकी सहायता करेंगे।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को प्रधानमंत्री द्धारा रामलला की मूर्ति स्पर्श से दिक्कत
दीक्षित ने कहा कि मैं वैदिक विद्वानों और कर्मकांडियों की टीम में शामिल होऊंगा और ’यजमान प्रायश्चित’ अनुष्ठान बुधवार को किया जाएगा।अनुष्ठान को लेकर लगातार विवाद हो रहा है। शंकराचार्यों ने अनुष्ठान में जाने से इनकार कर दिया है। जगन्नाथ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम लला की मूर्ति के स्पर्श से ही दिक्कत है। वो आपत्ति जताते हुए यहाँ तक कह गए कि ’प्रधानमंत्री वहां लोकार्पण करें, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो क्या मैं ताली बजाऊंगा?’बता दें कि मंगलवार को अनिल मिश्रा ने उस स्थान पर ’प्रश्चिता’, ’संकल्प’ और ’कर्मकुटी’ पूजा की, जो लगभग आठ घंटे तक चली। अनुष्ठान के दौरान मंदिर के गर्भगृह के लिए चुनी गई और अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई राम लला की मूर्ति भी वहाँ थी। ’कर्मकुटी’ पूजा का उद्देश्य मूर्ति निर्माण के दौरान हुई किसी भी कमी के लिए क्षमा मांगना है। ’हवन’ मिश्रा और उनकी पत्नी द्वारा किया गया। सवाल वही भम्रित बना है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुख्य यजमान कौन होगा? प्रधानमंत्री मोदी या फिर अनिल मिश्रा?