नई दिल्ली(व्हीएसआरएस न्यूज) चीन की वजह से भारत-नेपाल के रिश्तों में खट्टास आने के बाद नेपाल का झुकाव चीन के प्रति ज्यादा हुआ। लेकिन समय के साथ नेपाल को यह बात समझ में आने लगी कि चीन की नीयत साफ नहीं और उसकी जमीन पर अपना नापाक पांव पसार रहा है। इसी बीच पुराने मित्र रहे नेपाल देश से बिगडे रिश्तों को संवारने के लिए भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे नेपाल की यात्रा पर जाएंगे। इसके पहले 3 फरवरी को जाने वाले थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से टल गया। नेपाल आर्मी प्रवक्ता ब्रिगेडियर संतोष पौडेल ने जानकारी दी कि तारिख तय करने के लिए संपर्क और समन्वय किया जा रहा है। सेनाप्रमुख मीटिंग के दौरान ऑनरेरी जनरल का रैंक सौंपेंगे। यह परंपरा 1950 से 70 वर्षों से चली आ रही है।
जनरल नरवणे के बयान से नेपाल नाराज था
नेपाल और भारत के बीच इस साल मई से ही तनाव है। ऐसे में जनरल नरवणे का नेपाल दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। जनरल नरवणे ने मई में कहा था कि नेपाल किसी दूसरे देश की शह पर सीमा विवाद का मुद्दा उठा रहा है। लिपुलेख से मानसरोवर के बीच बनाई गई भारतीय सड़क पर सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया था,लेकिन नेपाल ने उनके इस बयान पर नाराजगी जाहिर की थी। नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने जनरल नरवणे के इस बयान को अपमानजनक बताया था। कहा था,भारत नेपाल के इतिहास,सामाजिक विशेषताओं और आजादी को नजरअंदाज कर रहा है।
रिश्ते सुधारने के लिए कई पहल हुईं
हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर बनाने के लिए कई पहल हुई हैं। अगस्त में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था। ओली ने मोदी और भारत की जनता को 74वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी थी। दोनों नेताओं के बीच आपसी सहयोग के मुद्दों पर भी बातचीत हुई थी। इसके बाद 17 अगस्त को काठमांडू में दोनों देशों के अफसरों की हाई लेवल बैठक हुई थी। इसमें नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और भारतीय अफसरों की टीम ने हिस्सा लिया था। बैठक में दोनों देशों के जॉइंट प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई थी।