पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) अपने अच्छे आचरण व्यवहार के कारण कई बार संसद रत्न का पुरस्कार प्राप्त करने वाले मावल से शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे ने एक और छलांग लगाते हुए केंद्रीय भाषा समिति के कार्यकारी समन्वयक पद पर नियुक्त किए गए है।
यह मावल लोकसभा क्षेत्र के नागरिकों के लिए गर्व का विषय है। इस समिति में 30 सदस्य हैं। लोकसभा में 20 और राज्यसभा में 10 सदस्य हैं। समिति की अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह कर रहे हैं। इस अवसर पर बोलते हुए सांसद श्रीरंग बारणे ने कहा कि राजभाषा समिति के माध्यम से हिंदी भाषा के लिए अच्छा काम किया जा सकता है। केंद्र सरकार के कई कार्यालयों का अध्ययन किया जाता है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य हिंदी का प्रसार करना है।
केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी का उपयोग नहीं किया जाता है। उन्हें अधिक से अधिक हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए मजबूर करना। यह समिति 1976 में अस्तित्व में आयी। यह एकमात्र समिति है जिसकी रिपोर्ट लोकसभा में पेश नहीं की गई है। सीधे देश के राष्ट्रपति के सामने पेश किया गया। ऐसा श्रीरंग बारणे के बताया।
1976 से संसदीय राजभाषा समिति का गठन अधिनियम के उपबंधो के अनुसार किया गया। समिति को सौपे गए कर्तव्य हैं – संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी के प्रयोग में की गई प्रगति का पुनर्विलोकन करना और उस पर सिफ़ारिशें करते हुए राष्ट्रपति को प्रतिवेदन करना। तदुपरान्त, राष्ट्रपति उस प्रतिवेदन को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखेंगे तथा सभी राज्य सरकारों को भिजवाएंगे।
अपने कार्य को सुचारु रूप से निष्पादित करने और उसे सही दिशा प्रदान करते हुए प्रतिवेदन देते समय समिति के लिए यह आवश्यक है कि वह राजभाषा के संबंध में संविधान के उपबंधों, राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर दिए गए आदेशों, राजभाषा के संबंध में गठित खेर आयोग तथा पंत समिति की सिफ़ारिशें, राजभाषा अधिनियम तथा नियमों और संसद द्वारा पारित संकल्प आदि के बारे में भी एक संक्षिप्त विवेचन कर लें।
जिस तारीख को धारा 3 प्रवृत्त होती है उससे दस वर्ष की समाप्ति के पश्चात, राजभाषा के सम्बन्ध में एक समिति, इस विषय का संकल्प संसद के किसी भी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी से प्रस्तावित और दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने पर, गठित की जाएगी।
इस समिति में तीस सदस्य होंगे जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे तथा दस राज्य सभा के सदस्य होंगे, जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों तथा राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।
राष्ट्रपति उपधारा (3) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर और उस पर राज्य सरकारों ने यदि कोई मत अभिव्यक्त किए हों तो उन पर विचार करने के पश्चात् उस समस्त प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश निकाल सकेगा। परन्तु इस प्रकार निकाले गए निदेश धारा 3 के उपबन्धों से असंगत नहीं होंगे।