उचकागांव। व्हीएसआरएस संवाददाता: वर्मी कंपोस्ट से किसानों को खेती की नई राह दिखाने वाले अजय राय एक मिशाल पेश कर रहे है। जैविक खाद के इस्तेमाल से किसानों को समृद्धि का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन वर्मी कल्चर के कारण पैदा हुए भारी मात्रा में केचुए को खपा ना पाना उनके लिए नया मुसीबत बन गया है। हद तो यह है कि जिन कृषि विभाग ने उनको इस कार्य के लिए प्रोत्साहित किया। अब वे खुद मुंह फेर कर असहयोग पर उतर आए हैं।
फिलहाल मीरगंज में परिवार के साथ रहने वाले और उचकागांव प्रखंड के ब्रह्माइन गांव के मूल निवासी अजय कुमार राय ने बताया कि सरकार की जैविक खाद के जोर देने पर उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया। इस दौरान उन्होंने अपने गांव में ही वर्मी बीड बनाकर वर्मी कल्चर से जैविक खाद उत्पादन की शुरुआत की। जैविक खाद के कारण ब्रह्माइन तथा इसके आसपास के दर्जनों गांव में किसानों को जबरदस्त फायदा मिला और यह क्षेत्र सब्जी पैदा करने के केंद्र के रूप में उभरने लगा। इस दौरान वर्मी कंपोस्ट को स्थानीय किसानों ने हाथों हाथ लिया| इसके उपयोग से उगाई गई जैविक सब्जियां जिले में लोगों की पसंद बन गई। इसके बाद तत्कालीन कृषि पदाधिकारियों के कहने से उन्होंने वर्मी कल्चर के प्रोत्साहन हेतु केचुओं का उत्पादन शुरू किया ताकि क्षेत्र में जैविक खाद के उत्पादन को और बढ़ाया जा सके। पर अब अथक मेहनत के बाद भारी मात्रा में पैदा हुए केंचुआ उनके लिए जी का जंजाल बन गया है। अब केंचुआ के खरीदार नहीं मिलने के कारण वे सरकारी सहयोग को लेकर प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं।
वर्ष 2015 से जैविक खेती के लिए वर्मी कल्चर के द्वारा कम्पोस्ट बनाने वाले अजय ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट की बड़ी डिमांड है लेकिन इसके साथ बड़ी संख्या में तैयार केंचुए की खरीदारी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है जिससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके लिए कृषि विभाग को उचित कदम उठाने चाहिए।