भागलपुर। व्हीएसआरएस न्यूज: गंगा से निकली जमीन पर कब्जे जमाने के लिए दियारा में अपराधियों की बंदूकें अरसे बाद फिर गरजने लगी है। इस्माईलपुर, गोपालपुर, सधुआ-चापर, तिनटंगा दियारा में गंगा की कोख से निकली जमीन पर कब्जे की जंग शुरू हो गई है। गंगा से निकली जमीन पर जहां थोड़ा-बहुत पानी है वहां से मछली निकालने में भी तनातनी होने लगी है।
इस दियारा में सक्रिय भक्ता गिरोह, मोती गिरोह, भोला गिरोह, पदरा गिरोह, मोहना गिरोह, चमकी गिरोह, कंगरेसिया गिरोह, चंद्रेश्वर गिरोह सरीखे कई गिरोहों की सक्रियता गंगा से निकली जमीन पर कब्जे जमाने में देखी जा रही है। सुदूर दियारा में आपराधिक गिरोह की हलचल ज्यादा है क्योंकि वहां जाने का एक मात्र साधन नाव है। जहां पुलिस की पहुंच नहीं है। किसी ऑपरेशन या चुनाव के समय में ही पुलिस या अद्र्ध सैनिक बलों की उपस्थिति उन दियारा क्षेत्रों में होती है।
दियारा क्षेत्र के इन इलाके में गंगा से निकली जमीन या कोल-ढाबों में अधिकांश पर आपराधिक गिरोहों का मौन कब्जा हो जाता है। सैकड़ों एकड़ जमीन पर गरीब मजदूर, किसान उनके रहमोकरम पर खेती करते हैं। फसल जब लहलहाती है तो उसका कुछ हिस्सा अपने यहां लाते हैं। शेष सब दबंगों के हवाले होता है। जिसने विरोध किया उसे दियारा छोड़ दूसरी जगह जाकर बसना मजबूरी बन जाती। जान बचाने की गरज से काफी संख्या में लोग दूसरे इलाके में बस चुके हैं।
गंगा की कोख से निकली बिचली दियारा की जमीन पर इस सप्ताह हुई कब्जे की जंग में 50 राउंड गोलियां चली। अपराधियों ने जमीन पर मकई की बुआई करने गए किसान चंद्र किशोर यादव और उसके तीन बेटों को घेर का अंधाधुंध गोलियां बरसाई। हमले में जख्मी किसान बाप-बेटों की हालत अस्पताल में गंभीर बनी हुई है। जख्मी किसान चंद्र किशोर ने पुलिस को जानकारी दी है कि हमलावर विकास यादव उर्फ पदरा अपने सहयोगियों के साथ हमला किया। चंद्र किशोर को पकड़ कर राइफल की वट से पैर के अंगूठे को बदमाशों में एक सागर यादव कूच रहा था, उसी दौरान गोली दग गई। गोली सागर को जा लगी। उसकी मौके पर मौत हो गई।
गंगा से निकली 16 बीघा जमीन को लेकर गोलियां चलने की घटना तो एक बानगी मात्र है। यहां चंद्र किशोर और उसके बेटों ने पदरा गिरोह का विरोध कर दिया।गंगा से कभी निकले बड़की बहियार के सुदूर तक फैली काफी जमीन पर पदरा गिरोह का ही कब्जा है। वहां लोगों को खेतों में मजदूरी करने, फसल लगाने भर का हक है। बदले में यदि मेहनताना मिल गया तो वह उनकी किस्मत। तैयार फसलें जमीन पर जिसका कब्जा है, उसी का होगा।
वही दियारा की अधिकांश जमीन साहू परवत्ता एस्टेट, नथुनी सिंह, पंचरुक्खी एस्टेट, शर्मा एस्टेट आदि का रहा है। जिस पर कुछ में पुश्त दर पुश्त खेती करते आए कुछ मजदूरों ने कानूनी लड़ाई लड़ सिकमी भौली का अधिकार ले रखा है। ऐसी जमीन गंगा में जब तक समाई रहती, तनातनी थम जाती है। जैसे ही गंगा से ऐसी जमीनें निकली तो उसपर कब्जे की जंग शुरू हो जाती है। जमीन मालिक तो मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करता बल्कि सिकमी भौली के हक का दावा करने वाले किसान और इलाके में सक्रिय आपराधिक गिरोह में संघर्ष शुरू हो जाता है।
इस सप्ताह हुए ङ्क्षहसक संघर्ष में घायल किसान चंद्रकिशोर यादव का कहना है कि उसके पिता स्वर्गीय बच्ची लाल यादव उस जमीन की सिकमी भौली का हक रखते आए थे। चौथी पुस्त से ऐसा हक कायम है। विकास यादव उर्फ पदरा गंगा से निकली जमीन पर अपना हक जमाने की फिराक में रहता है। उसने एलान कर रखा है कि जो भी जमीन गंगा से निकलेगी उसपर उसका हक होगा।
आपको बताते चले की तीन मार्च 2020 को गंगा से निकली 16 बीघा जमीन के लिए चंद्रकिशोर के भाई अजय यादव की हत्या कमलाकुंड बहियार में ही कर दी गई थी। डीआइजी सुजीत कुमार के निर्देश पर अक्टूबर माह में दियारा में अद्र्ध सैनिक बलों ने सर्च अभियान चलाया था। जिससे अपराधियों में हड़कंप मची थी। वह दूसरे इलाके में शरण ले लिये थे। चुनाव बाद फिर स्थिति जस की तस बन चुकी है।