Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी-चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण सीमा के भीतर ’संपत्ति कार्ड’ का मुद्दा अब हल होने की संभावना है। राज्य विधानसभा के बजट सत्र में विधायक महेश लांडगे ने इस बारे में एक दिलचस्प बात कही है। इसलिए शिंदे-फडणवीस सरकार से सकारात्मक फैसले की उम्मीद है।
पिंपरी-चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण का पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण में विलय कर दिया गया है। हालांकि प्राधिकरण के करीब 30 हजार भूखण्डों का संपत्ति कार्ड बनाने का कार्य लंबित है। 2018 में पायलट आधार पर सेक्टर 2 में आय धारकों को संपत्ति कार्ड दिए गए थे। हालांकि बाद के कालखंड में प्रशासनिक उदासीनता और कार्यालय की देरी के कारण इस कार्य में देरी हुई। अथॉरिटी के बाउंड्री मैप तैयार नहीं हैं। तो वास्तव में अधिकार की सीमाएँ क्या हैं? इसे लेकर भी भ्रम की स्थिति है।
भू-स्वामियों के सात बारा अथवा क्रय विलेख पर केवल ’प्राधिकरण सम्पादित’ ही अंकित होता है। नतीजतन, प्राधिकरण परिसर में अतिक्रमण और अवैध निर्माण में वृद्धि हुई है। मनपा में इस संबंध में कोई लेखा-जोखा नहीं है। इससे राजस्व सृजन प्रभावित होता है। साथ ही आयुक्त और निदेशक भूमि अभिलेख (महाराष्ट्र राज्य) पुणे डीटी महाराष्ट्र भू-राजस्व अधिनियम 1966 की धारा 122 की अधिसूचना दिनांक 22 मार्च 1976 के अनुसरण में पिंपरी-चिंचवड़ नगर पालिका में सम्मिलित ग्रामों के नगरीय भूमि सर्वेक्षण की अधिसूचना स्वीकृत कर नगरपालिका भूमि सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ किया गया था। विधायक लांडगे ने कहा कि यह दिलचस्प है कि मूल नगर भूमि सर्वेक्षण के लिए विस्तृत गणना और अधिकार जांच कार्य 1976 और 1980 के बीच किया गया था और तदनुसार मानचित्र और आय प्रपत्र तैयार किए गए थे।
’प्रॉपर्टी कार्ड’ नहीं होने से राजस्व आय में वृद्धि को लेकर हो रही असुविधा…
वर्तमान में पिंपरी-चिंचवड न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकार क्षेत्र के तहत क्षेत्र को मूल नगर भूमि सर्वेक्षण अधिकार पूछताछ के समय विकसित नहीं किया गया था।तत्पश्चात् पिंपरी-चिंचवड नगर विकास योजना स्वीकृत कर सुनियोजित नगरीय क्षेत्र का विकास किया गया है। हालांकि, भूमि अभिलेखों का अध्ययन न करने के कारण, भूमि मालिकों को अधिकारों के पंजीकरण, सीमा विवाद, विरासत पंजीकरण, विवादों को रद्द करने, सरकारी अधिकारियों के परिसर में अतिक्रमण का निर्धारण करने जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही राजस्व अभिलेख उपलब्ध न होने के कारण विधायक लांडगे ने राजस्व वृद्धि को लेकर नुकसान की ओर इशारा किया है।
राज्य सरकार के राजस्व विभाग एवं जमाबंदी आयुक्त प्रशासन ने जीसीपीएस का उपयोग करते हुए प्राधिकरण की सीमाओं को अद्यतन किया है और ई.टी.एस. इसे शुद्ध जमीनी तरीके से करने के लिए सकारात्मक पहल की जानी चाहिए। इससे लगभग 30 हजार भूखंडों पर कम से कम 45 से 50 हजार भू-स्वामियों को राहत मिलेगी और राजस्व आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना प्राधिकरण का ’पीएमआरडीए’ में विलय कर दिया। उस समय करीब 1 लाख नागरिकों और 45 से 50 हजार भू-स्वामियों का ’संपत्ति कार्ड’ जारी करने का मामला लटका है। महाविकास अघाड़ी के ढाई साल के दौरान इस पर ध्यान नहीं दिया गया। 14 साल से लंबित सजा को सरसरी तौर पर माफ करने के फैसले के तहत अब हमने नगर निगम, पीएमआरडीए और भू-अभिलेख विभाग के संयुक्त सहयोग से शिंदे-फडणवीस सरकार के माध्यम से ’संपत्ति कार्ड’ के मामले को निपटाने की पहल की है। इस सत्र में एक दिलचस्प सुझाव पेश किया गया है और उम्मीद है कि सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। ऐसा दावा भोसरी के भाजपा विधायक महेश लांडगे का है।