बैकुंठपुर। व्हीएसआरएस संवाददाता: जिले के पूर्वांचल में बाढ़ पीड़ितों की स्थिति बदहाल होती जा रही है। सरकारी स्तर पर बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए सामुदायिक रसोई की शुरुआत कर दी गई है। पिछले एक सप्ताह से बाढ़ की तबाही झेल रहे विस्थापित परिवार तटबंध पर ही जीवन यापन करने को विवश हैं। घरों में चार से पांच फीट तक बाढ़ का पानी अभी भी बहने के कारण अगले एक सप्ताह तक ये घर लौटने की स्थिति में नहीं हैं।
तटबंध पर मवेशियों का कचरा व बारिश से उत्पन्न जलजमाव के बीच किसी तरह प्लास्टिक के टेंट में खानाबदोश की जिंदगी जीने को अभिशप्त पार्वती कुंवर करती है कि सरकार के ओर से खाना बिलत बा लेकिन दिन भर में एक बार खाना खाके लइकन के भूख नईखे जात। बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि तटबंध पर रहने के बावजूद विषैले सांप का डर सता रहा है। दिन में किसी तरह मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे हैं। लेकिन रात में विषैले सांप के डर से रात जगा करने को विवश हैं। बाढ़ के पानी में बहकर आए विषैले सांप भी ग्रामीणों की जान के लिए आफत बन चुके हैं। तटबंध पर विस्थापित की जिंदगी जी रहे ग्रामीणों को रात में पर्याप्त रोशनी भी नहीं मिल पा रही है।
बैकुंठपुर के 16 गांवों में छठे दिन भी बाढ़ की तबाही बरकरार
बैकुंठपुर। व्हीएसआरएस संवाददाता: जिले के पांच प्रखंड़ों के 42 गांवों में बाढ़ की तबाही गुरुवार को छठे दिन भी बरकरार रही। गंडक के डिस्चार्ज लेवल में कमी आने के बाद अगले दो दिनों में राहत मिलने की उम्मीद है। गोपालगंज सदर, माझागढ़, बरौली तथा सिधवलिया प्रखंडों से बाढ़ का पानी उतर रहा है। इन प्रखंडों के 26 गांवों में बाढ़ के पानी में 30 सेंटीमीटर कमी दर्ज की गई है। जबकि सर्वाधिक लो-लैंड में बसे बैकुंठपुर प्रखंड के 16 गांवों में महज पांच सेंटीमीटर जलस्तर में कमी आई है। बैकुंठपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में सबसे अधिक तबाही अभी भी बरकरार है। कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें तटबंध पर रहने के लिए जगह तक नहीं मिल पाई है। ऐसे परिवार बाढ़ के पानी में मचान बनाकर रहने को मजबूर हैं।
इन परिवारों को घर से तटबंध तक आने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ पीड़ितों को नाव के अलावा अन्य किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। अंचल कार्यालय की ओर से बाढ़ प्रभावित परिवारों को रोशनी की सुविधा मुहैया कराने का दावा किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि तटबंध पर बिजली की रोशनी के सहारे ही बाढ़ पीड़ितों को रात गुजारनी पड़ रही है। बिजली गुल होने की स्थिति में अंधेरे में कीड़े मकोड़े का डर सता रहा है। तटबंध पर हिलोरे ले रही गंडक नदी की धारा हमेशा अप्रिय घटना का संकेत दे रही है। छोटे बच्चे, मवेशी सहित अन्य लोगों को बड़े बुजुर्ग सुरक्षित रख रहे हैं।
बाढ़ विस्थापितों के लिए सामुदायिक रसोई शुरू
बैकुंठपुर। जिले में सर्वाधिक तबाही वाले बैकुंठपुर प्रखंड में बाढ़ पीड़ितों के लिए सामुदायिक रसोई शुरू कर दी गई है। अंचल पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि 6 जगहों पर कम्युनिटी किचन चलाया जा रहा है। पकहां, सीतलपुर, सलेमपुर, प्यारेपुर के अलावे गांव में जमींदारी बांध पर बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराया जा रहा है। सरकारी स्तर पर दोनों समय खाना की व्यवस्था का दावा किया जा रहा है। जबकि बाढ़ पीड़ित परिवार सिर्फ एक बार ही भोजन करने की बात बता रहे हैं। वैसे 6 दिनों से बदहाली की जिंदगी जी रहे बाढ़ पीड़ितों को के लिए कम्युनिटी किचन चलने से राहत मिल रही है।
सत्तरघाट पुल पर ढाई महीने से बंद है परिचालन
बैकुंठपुर। गंडक नदी के सत्तर घाट महासेतु पर वाहनों का परिचालन बाढ़ की वजह से ढाई महीने से बंद है। इस वर्ष 15 जून को पहली बार गंडक नदी में चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी छूटने के कारण पकहां गांव के समीप तटबंध पर बाढ़ के पानी का दबाव बनने लगा। जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन विभाग की सहमति पर सत्तरघाट एप्रोच रोड को तीन जगह काटकर जल प्रवाहित करने की व्यवस्था की गई थी।
एप्रोच रोड कटने के कारण सत्तरघाट महासेतु पर वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया। गोपालगंज, सारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों से सड़क संपर्क यहां पूरी तरह भंग हो चुका है। ढाई महीने तक बाढ़ की तबाही बरकरार रहने के कारण एप्रोच रोड चालू नहीं किया जा सका है। गंडक नदी के इस पार से उस पार जाने के लिए लोगों को या तो नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। या फिर यहां से सात किलोमीटर दूर बंगराघाट महासेतु होकर आवागमन करना पड़ रहा है।
सहायता राशि के लिए टकटकी लगाए हैं बाढ़ पीड़ित
बैकुंठपुर। जिले के पांच प्रखंडों के 42 गांवों के बाढ़ पीड़ित परिवार सरकारी सहायता राशि के लिए टकटकी लगाए हैं। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि ढाई महीने के दौरान चार बार बाढ़ की तबाही झेल चुके हैं। लेकिन सरकारी स्तर पर उन्हें सहायता राशि नहीं मिल पाई है। बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि तीन दिनों से अधिक घर में बाढ़ का पानी जमा रहने के बाद सहायता राशि मिलने का प्रावधान है। लेकिन उन्हें सहायता राशि के बदले सिर्फ