बैकुंठपुर | व्हीएसआरएस संवाददाता: जिले में गंडक नदी के जलस्तर में मंगलवार को कमी आने से दियारे के लोगों ने भले ही राहत की सांस ली है। लेकिन नेपाल के तराई क्षेत्रों में तीन दिनों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इससे दियारे में एक बार फिर बाढ़ की आशंका जताई जा रही है। जिले के गंडक नदी के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग संभावित बाढ़ की आशंका से सहमे नजर आ रहे हैं। एक माह के दौरान तीन बार बाढ़ की त्रासदी झेल चुके गंडक नदी के तटवर्ती इलाकों के हजारों की आबादी अब आर्थिक रूप से टूट चुके हैं।
गंडक का जलस्तर मंगलवार को मटियारी मीटर गेज पर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर उपर बताया गया। नदी का जलस्तर कम होने से तटबंधों पर पानी का दबाव भी कम हो गया है। लेकिन कटाव की आशंका बढ़ती जा रही है। गंडक नदी का जलस्तर कम होने से निचले हिस्से में बसे सभी गांवों से बाढ़ का पानी उतर रहा है। सीतलपुर और पकहां गांवों में जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण अभी भी बाढ़ का पानी सड़कों एवं ग्रामीणों के घरों में बह रहा है। प्यारेपुर बिनटोली में पचास से अधिक परिवार अभी भी बाढ़ के कहर से त्रस्त हैं।
इन गांवों में अभी भी 3 फीट तक बढ़ का पानी बह रहा है। जिससे छोटे बच्चों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। प्यारेपुर, बिन टोली, आशा खैरा, यादवपुर तथा महम्मदपुर गांवों में भी सड़कों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। सत्तरघाट से महम्मदपुर तक तीन सौ से अधिक बाढ़ विस्थापित परिवार अभी तटबंध पर शरण ले रहे हैं। तीन सौ परिवारों के डेढ़ हजार से अधिक की आबादी तटबंध पर खानाबदोश की जिंदगी जी रही है।
पौने दो लाख क्यूसेक तक पहुंचा गंडक डिस्चार्ज
बैकुंठपुर। गंडक नदी का डिस्चार्ज लेवल मंगलवार को 1.72 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया है। सोमवार को गंडक नदी का डिस्चार्ज 1.44 लाख क्यूसेक पर था। 24 घंटों से डिस्चार्ज लेवल में वृद्धि हो रही है। वैसे नदी के जलस्तर में कमी आने से दियारा क्षेत्र के लोग राहत की सांस ले रहे है। पश्चिमी चंपारण जिले के बाल्मीकिनगर बराज से गंडक नदी के डाउनस्ट्रीम में प्रति दो घंटे पर 1.70 से 1.80 लाख क्यूसेक के बीच पानी डिस्चार्ज की जा रही है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ी
बैकुंठपुर। प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाके में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। पिछले 24 घंटे के दौरान सात सर्पदंश से पीड़ित हुए हैं। जबकि 15 दिनों की आंकड़े पर गौर करें तो तटबंध पर रह रहे बाढ़ विस्थापित परिवार और बाढ़ के पानी में फंसे लोगों में से 54 लोग सर्पदंश से पीड़ित हुए हैं। हालांकि सर्पदंश की घटनाओं में किसी भी पीड़ित मरीज की मौत होने की सूचना नहीं है। लेकिन बाढ़ के पानी में बहकर आए पहाड़ी व जहरीले सांपों का भय ग्रामीणों को अभी भी सता रहा है। विषैले सांपों के डर से लोग तटबंध पर मचान बनाकर सो रहे हैं। कई परिवार रात जगा भी करने को विवश हैं।
पेयजल और शौचालय की हुई व्यवस्था
बैकुंठपुर। बाढ़ प्रभावित इलाकों में पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की गई है। सीओ सुनील कुमार ने बताया कि 15 सितंबर तक गंडक नदी के जलस्तर में उफान की संभावना बनी रहती है। प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां अभी भी युद्ध स्तर पर चलाई जा रही है। ताकि बाढ़ की स्थिति से निपटा जा सके। शीतलपुर व पकहां गांवों में तटबंध के किनारे सार्वजनिक शौचालय का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। तटबंध पर विस्थापित परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जगह-जगह चापाकल भी लगाया गया है।